क्या बैंकिंग सेक्टर अब एनपीए की समस्या से मुक्त हो गया है? सरकारी आंकड़ों का क्या कहना है

2017-18 में भारतीय बैंकिंग सेक्टर का गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) का स्तर कुल वितरित कर्ज के 10% तक पहुंच गया था। इसने देश-विदेश की वित्तीय एजेंसियों को भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की आलोचना करने का मौका दे दिया था। लेकिन अब स्थितियां काफी बेहतर हो चुकी हैं। सभी बड़े बैंकों का शुद्ध एनपीए एक प्रतिशत से नीचे आ गया है। 

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2017-18 में भारतीय बैंकिंग सेक्टर का गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) का स्तर कुल वितरित कर्ज के 10% तक पहुंच गया था। इसने देश-विदेश की वित्तीय एजेंसियों को भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की आलोचना करने का मौका दे दिया था। लेकिन अब स्थितियां काफी बेहतर हो चुकी हैं। सभी बड़े बैंकों का शुद्ध एनपीए एक प्रतिशत से नीचे आ गया है। 

क्या एनपीए फिर बढ़ सकता है?

हाल ही में सरकार द्वारा संसद में पेश किए गए आंकड़े यह दर्शाते हैं कि कर्ज वसूली का सिस्टम सही दिशा में काम कर रहा है। वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी कि बीते पांच वर्षों में 6.82 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बकाया राशि वसूल की गई है। इससे स्पष्ट होता है कि एनपीए के स्तर को कम करने में सफलता मिली है और निकट भविष्य में इसके फिर से बढ़ने की संभावना कम है।

बट्टे खाते का योगदान

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में बताया कि 2023-24 में बैंकों ने 1.70 लाख करोड़ रुपये की राशि को बट्टे खाते में डाला है, जबकि पिछले तीन वर्षों में यह राशि 5.53 लाख करोड़ रुपये रही। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की तरफ से बट्टे खाते में कोई कर्ज नहीं डाला जाता, यह निर्णय बैंक स्वयं लेते हैं। बट्टे खाते में डालने का मतलब यह नहीं है कि उस कर्ज की वसूली बंद हो जाती है; बैंक इसके लिए प्रयास जारी रखते हैं। हालांकि, अक्सर बट्टे खाते में डाले गए कर्ज का एक छोटा हिस्सा ही वसूला जा पाता है। बीते पांच वर्षों में, केवल 18.70% राशि ही वापस वसूल की जा सकी है।

एनपीए कम होने के कारण

हाल ही में प्रमुख बैंकों के वित्तीय परिणाम दर्शाते हैं कि बेहतर कर्ज प्रबंधन और बट्टे खाते में कर्ज डालने से एनपीए में कमी आई है। भारतीय स्टेट बैंक का सितंबर 2024 तिमाही में शुद्ध एनपीए 0.58% रहा, पीएनबी का 0.48%, एचडीएफसी बैंक का 0.41%, और आईसीआईसीआई बैंक का 0.42%। उल्लेखनीय है कि इन बैंकों का एनपीए स्तर पिछले पांच तिमाहियों से लगातार घट रहा है।

इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली ने एनपीए की चुनौती को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया है और वर्तमान में स्थिति संतोषजनक है।