बैंकिंग से जुड़ी बड़ी खबर, जानिए कितने बैंकों में कितने खाते रखना हो सकता है फायदेमंद

बचत खाता खोलने के लिए बहुत-से बैंक बेहद आकर्षक योजनाएं लॉन्च करते रहते हैं, और उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं तथा सुविधाओं में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है, लेकिन इन पेशकशों के चलते अलग-अलग बैंकों में खाता खोल लेने की इच्छा होने लगती है. एक से ज़्यादा बैंक खाता होने की कल्पना बेहद अच्छी और फायदेमंद लगती है, लेकिन एक से ज़्यादा बचत बैंक खाता होने पर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है

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बचत खाता खोलने के लिए बहुत-से बैंक बेहद आकर्षक योजनाएं लॉन्च करते रहते हैं, और उनके द्वारा दी जाने वाली सेवाओं तथा सुविधाओं में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है, लेकिन इन पेशकशों के चलते अलग-अलग बैंकों में खाता खोल लेने की इच्छा होने लगती है. एक से ज़्यादा बैंक खाता होने की कल्पना बेहद अच्छी और फायदेमंद लगती है, लेकिन एक से ज़्यादा बचत बैंक खाता होने पर कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी होता है

1. बैंक शुल्क

 अधिकतर बैंक बहुत-सी सेवाएं कतई निशुल्क प्रदान किया करते हैं, लेकिन कुछ ऐसी सुविधाएं और सेवाएं हैं, जिनके लिए कुछ शुल्क भी देना पड़ता है. ग्राहक के तौर पर, आपको जानकारी होनी चाहिए कि विभिन्न सेवाओं के लिए विभिन्न बैंकों के शुल्क कितने-कितने हैं. अक्सर, ग्राहकों को बहुत-सी सेवाओं के लिए वसूले जाने वाले शुल्क की जानकारी तक नहीं होती, इसलिए ग्राहक को बैंक में खाता खुलवाते वक्त या बैंकों से कोई भी सुविधा हासिल करते वक्त ही सारी जानकारी हासिल करनी चाहिए.

2. धन निकास सीमा

 बैंकों के बचत खातों के साथ मिले डेबिट कार्ड में प्रतिदिन एक विशेष धनराशि निकालने की ही अनुमति होती है, सो, ऐसी स्थिति में एक से ज़्यादा बचत खाता होना फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि आप अलग-अलग खातों से कुल मिलाकर बड़ी राशि भी निकाल सकते हैं.

किसी एक शख्स के पास कितने बचत खाते हो सकते हैं, इसकी कोई सीमा या पाबंदी नहीं है, लेकिन, एक विशेष समयावधि तक आपके खाते में कोई लेनदेन या गतिविधि नहीं होती है, तो बैंक के पास इसे डॉरमैन्ट (निष्क्रिय) के रूप में चिह्नित करने का अधिकार होता है.

इसके अलावा, बचत खाते में कोई गतिविधि न होने पर कई तरह के शुल्क और जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जिससे आखिरकार आपका बैलेंस प्रभावित होगा, और कम हो जाएगा.

3. न्यूनतम बैलेंस

ध्यान रहे, बचत खाते में न्यूनतम बैलेंस बनाए रखना बेहद ज़रूरी होता है. खातों को सेवाएं प्रदान करने तथा उन्हें बनाए रखने की लागत को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम बैलेंस की राशि बैंक ही निर्धारित किया करते हैं, और न्यूनतम बैलेंस नहीं रहने पर विशिष्ट शुल्क या जुर्माना भी लगा सकते हैं.