रतन टाटा ने अपनी वसीयत में अपने प्यारे पेट डॉग टीटो का भी खास ख्याल रखा है। उन्होंने सुनिश्चित किया कि टीटो की देखभाल में कोई कमी न हो
हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक, टाटा ग्रुप का नेतृत्व करने वाले रतन टाटा का देहांत हुआ। उन्होंने अपने पीछे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ी है, और अब सवाल है कि उनकी इस संपत्ति की देखभाल कौन करेगा।
हाल ही में देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक, टाटा ग्रुप का नेतृत्व करने वाले रतन टाटा का देहांत हुआ। उन्होंने अपने पीछे लगभग 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ी है, और अब सवाल है कि उनकी इस संपत्ति की देखभाल कौन करेगा।
रतन टाटा की वसीयत में उन्होंने अपने भाई जिमी टाटा, सौतेली बहनों शिरीन और डिएना जीजीभॉय, घरेलू स्टाफ और अन्य कई करीबी लोगों के लिए संपत्ति छोड़ी है। यहां तक कि उन्होंने अपने प्यारे पेट डॉग टीटो की देखभाल के लिए भी प्रावधान किया है।
टीटो का नया देखभालकर्ता कौन है?
रतन टाटा ने कुछ साल पहले एक जर्मन शेफर्ड, टीटो को अपनाया था, जो उनके पशुओं के प्रति प्रेम का प्रतीक था। उन्होंने अपनी वसीयत में टीटो की 'असीमित' देखभाल का विशेष प्रावधान किया है। यह भारत में ऐसा पहला मामला है जब किसी उद्योगपति ने अपनी वसीयत में पालतू जानवर की देखभाल के लिए व्यवस्था की है। टीटो की देखभाल की जिम्मेदारी उनके रसोइये, राजन शॉ को सौंपी गई है, जो पिछले तीन दशकों से रतन टाटा के साथ जुड़े रहे हैं। इसके अलावा उनके बटलर सुब्बैया के लिए भी वसीयत में व्यवस्था की गई है।
शांतनु नायडू को वसीयत में क्या मिला?
रतन टाटा की वसीयत में उनके एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट, शांतनु नायडू का भी उल्लेख है। उन्होंने नायडू के वेंचर, गुडफेलो में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी है, साथ ही नायडू के विदेशी शिक्षा के लिए लिया गया पर्सनल लोन भी माफ कर दिया है।
RTEF को ट्रांसफर होंगे टाटा ग्रुप के शेयर
रतन टाटा के शेयर अब रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को ट्रांसफर किए जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, RTEF के चेयरमैन के रूप में टाटा संस के प्रमुख एन चंद्रशेखरन को नियुक्त किया जा सकता है, जो टाटा ग्रुप की चैरिटेबल परंपरा को आगे बढ़ाएंगे।
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