ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है ‘आरबीआई', महंगाई को लेकर भी सामने आ सकते हैं कुछ बयान

आरबीआई की एमपीसी कमेटी शुक्रवार आने वाली नई मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को स्थिर रख सकती है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमत और अर्थव्यवस्था की विकास दर को बनाए रखने के लिए फोकस पूरा महंगाई पर होगा।

स्टोरी हाइलाइट्स
  • खुदरा महंगाई दर 6 प्रतिशत के ऊपर

आरबीआई की एमपीसी कमेटी शुक्रवार आने वाली नई मौद्रिक नीति में ब्याज दरों को स्थिर रख सकती है। हालांकि, कच्चे तेल की कीमत और अर्थव्यवस्था की विकास दर को बनाए रखने के लिए फोकस पूरा महंगाई पर होगा।



 समाचार एजेंसी रॉयटर्स की ओर से किए गए सर्वें में 71 अर्थशास्त्रियों में एक छोड़कर सभी ने कहा कि अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी, लेकिन एक अर्थशास्त्री का कहना है कि रेपो रेट में इस बार 25 आधार अंक का इजाफा हो सकता है।

महंगाई को लेकरभी दिए जा सकते हैं कुछ बयान
यस बैंक में अर्थशास्त्री इंद्रनील पैन और दीप्ति मैथ्यू ने एक नोट में कहा कि भले ही महंगाई के बुरे दौर को पीछे छोड़ कर आ चुके हैं। हम लगता है कि आरबीआई जलवायु परिस्थितियों, कमोडिटी की कीमतों और वैश्विक जोखिम की स्थिति जैसी विभिन्न अनिश्चितताओं को महंगाई को लेकर सख्त कमेंट्री कर सकता है।

खुदरा महंगाई दर 6 प्रतिशत के ऊपर
अगस्त में रिटेल महंगाई दर 6.83 प्रतिशत पर थी। वहीं, जुलाई में यह 7.44 प्रतिशत पर थी। यह 15 महीने का उच्चतम स्तर था। हालांकि, खुदरा महंगाई दर केंद्रीय बैंक के 2 प्रतिशत और 6 प्रतिशत के ऊपर है। आरबीआई की ओर से 2023-24 के लिए महंगाई दर 5.4 प्रतिशत रही। डॉयचे बैंक का मानना है कि खुदरा महंगाई दर 5.5 से लेकर 5.7 प्रतिशत के बीच चालू वित्त वर्ष में रह सकती है।



ब्याज दरें कम कर सकती है आरबीआई
भारत की अर्थव्यवस्था अप्रैल और जून तिमाही में 7.8 प्रतिशत की सालाना दर विकास कर सकती है। एनालिस्टों को उम्मीद है कि अमेरिका में ब्याज दरें उच्च स्तर पर रहने के कारण आरबीआई 2024 के दूसरी तिमाही में ब्याज दरें कम कर सकती है। रॉयटर्स के पोल में कहा गया कि वित्त वर्ष में रेपो रेट 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी। अगली जुलाई से पहले 25 आधार अंक की कटौती हो सकती है।