कोयला खदानों से गैस निकालने की योजना को अब रफ्तार मिलने की उम्मीद है, जिसमें सरकार 85 अरब रुपये की वित्तीय मदद देगी
कोयला खदानों से गैस निकालने की योजना पर सरकार पिछले दो दशकों से काम कर रही है, लेकिन अब तक इसे कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है। हालांकि, हाल ही में इसमें प्रगति की उम्मीद जताई जा रही है। इसी दिशा में सोमवार को केंद्र सरकार ने चार कंपनियों का चयन किया है, जिन्हें कोल गैसिफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत वित्तीय सहायता दी जाएगी। इन कंपनियों में **भारत कोल गैसिफिकेशन एंड केमिकल्स लिमिटेड**, **कोल इंडिया लिमिटेड और गेल इंडिया का संयुक्त उपक्रम**, और **कोल इंडिया व न्यू इरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस** शामिल हैं। न्यू इरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस को छोटी परियोजनाओं के लिए अलग श्रेणी में अनुमति और वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा।
कोयला खदानों से गैस निकालने की योजना पर सरकार पिछले दो दशकों से काम कर रही है, लेकिन अब तक इसे कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है। हालांकि, हाल ही में इसमें प्रगति की उम्मीद जताई जा रही है। इसी दिशा में सोमवार को केंद्र सरकार ने चार कंपनियों का चयन किया है, जिन्हें कोल गैसिफिकेशन प्रोजेक्ट के तहत वित्तीय सहायता दी जाएगी। इन कंपनियों में **भारत कोल गैसिफिकेशन एंड केमिकल्स लिमिटेड**, **कोल इंडिया लिमिटेड और गेल इंडिया का संयुक्त उपक्रम**, और **कोल इंडिया व न्यू इरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस** शामिल हैं। न्यू इरा क्लीनटेक सॉल्यूशंस को छोटी परियोजनाओं के लिए अलग श्रेणी में अनुमति और वित्तीय प्रोत्साहन मिलेगा।
कुछ महीने पहले केंद्रीय कैबिनेट ने इस उद्देश्य के लिए 8500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी थी। यह राशि उन कंपनियों को दी जाएगी, जो कोयला खदानों से गैस निकालने के प्रोजेक्ट्स पर काम करेंगी। इसके लिए पांच कंपनियों ने आवेदन किया था, जिनमें से चार को चुना गया है।
इन कंपनियों को परियोजना के लिए आवश्यक उपकरण खरीदने पर कर में छूट और ब्याज दर में सब्सिडी जैसी सुविधाएं मिलेंगी। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक कोल गैसिफिकेशन प्रोजेक्ट्स से 10 करोड़ टन गैस निकाली जाए। यह घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में की थी।
सरकार और निजी कंपनियों के अगले कुछ वर्षों में कोल गैसिफिकेशन प्रोजेक्ट्स में करीब चार लाख करोड़ रुपये निवेश करने की संभावना है। इससे न केवल रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे बल्कि भारत में कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में भी मदद मिलेगी।
कोयला खदानों से निकाली गई गैस का इस्तेमाल ईंधन के रूप में और औद्योगिक कार्यों में किया जा सकता है। यह गैस गैस-आधारित बिजली संयंत्रों को भी सप्लाई की जा सकती है। फिलहाल देश में 24,000 मेगावाट की बिजली परियोजनाएं गैस की कमी के कारण बंद पड़ी हैं। अगर गैस की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित होती है, तो इन संयंत्रों को दोबारा चालू किया जा सकेगा।
इसके अलावा, कोयला खदानों के आसपास उर्वरक संयंत्र स्थापित करने पर भी विचार किया जा सकता है, बशर्ते गैस उत्पादन बड़ी मात्रा में हो। कोयला मंत्रालय का मानना है कि अगर 10 करोड़ टन गैस निकालने का लक्ष्य पूरा हो जाता है, तो यह देश में मौजूदा गैस उत्पादन के दोगुने के बराबर होगा।
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