जर्मनी में छाए आर्थिक मंदी के घने बादल, क्या भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा इसका प्रभाव

यूरोप का विकास इंजन कहे जाने वाले जर्मनी ने मंदी के दौर में प्रवेश किया है। जर्मनी को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भी पहचाना जाता था। जर्मनी के 2023 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

germany gdp down

यूरोप का विकास इंजन कहे जाने वाले जर्मनी ने मंदी के दौर में प्रवेश किया है। जर्मनी को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भी पहचाना जाता था। जर्मनी के 2023 की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 0.3 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

पिछले साल की चौथी तिमाही में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। जर्मनी में सकल घरेलू उत्पाद में दो तिमाहियों से गिरावट हो रही है। इस वजह से अर्थव्यवस्था में अस्थिरता आ गई है। जिसके चलते जर्मनी में मंदी का दौर शुरू हो गया है।

 जर्मनी की अर्थव्यवस्था में आई है गिरावट?

जर्मनी की इकोनॉमी में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। देश में पिछले दो तिमाहियों से घरेलू उत्पाद में गिरावट दर्ज की गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2023 के पहली तिमाही महीने में 1.2 फीसदी का गिरावट देखने को मिली है। इसी के साथ सरकारी खर्च में भी 4.9 फीसदी की गिरावट हुई है।

गुरुवार को जर्मनी के वित्त मंत्री क्रिश्चियन लिंडनर ने कहा कि घरेलू उत्पाद के आंकड़ों ने आश्चर्यजनक रूप से नकारात्मक संकेत दिखाए हैं। बाकी अर्थव्यवस्था में विकसित देशों की तुलना में जर्मनी की अर्थव्यवस्था पिछड़ती नजर आ रही है।

देश अपने औद्योगिक क्षेत्र की ऊर्जा जरूरतों को स्थायी रूप से पूरा करने में भी विफल रहा है। इसी के साथ देश में रुसी ईंधन की भी आपूर्ति पूरी नहीं हो पा रही है। देश में राजनीतिक और व्यापारिक वर्ग को भी नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांक, स्कोल्ज़ प्रशासन ने 2030 तक 625 मिलियन सौर पैनल और 19,000 पवन टर्बाइन स्थापित करने की योजना तैयार की है। लेकिन यह योजना भी बढ़ती मांग का सामना करने में विफल है। देश में लगभग हर चीज (हीटिंग से लेकर परिवहन तक) का विद्युतीकरण किया जा रहा है।

जर्मनी में मंदी का भारत पर पड़ेगा क्या असर?

जर्मनी अर्थव्यवस्था में मंदी निश्चित रूप से भारतीय निर्यात को प्रभावित कर रही है। भारत से सबसे ज्यादा परिधान, जूते और चमड़े के सामान का निर्यात होता है। ऐसे में इन क्षेत्रों पर असर पड़ेगा।

कई निर्यातक इस मंदी के नतीजों के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं। आर्थिक मंदी का प्रभाव जर्मनी के साथ-साथ अन्य यूरोपीय देशों पर भी पड़ रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि जर्मनी में आर्थिक मंदी का असर उत्पादों, रसायनों और हल्के इंजीनियरिंग वस्तुओं पर देखने को मिलेगा। जर्मनी में आर्थिक मंदी का वजह से भारतीय निर्यात में भी गिरावट आ सकती है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में, भारत का निर्यात 10.2 बिलियन अमरीकी डॉलर था। मंदी की वजह से इस आंकड़े में गिरावट आने की उम्मीद है।