रक्षा बंधन लग रही है भद्रा, जानिये भाई को रक्षा सूत्र बाँधने का क्या है सही समय

सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है. इन दिन बहने अपने भाई की कलाई राखी बांधकर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस पर्व पर भाई भी अपनी बहन को रक्षा का वजन देते हैं. रक्षा बंधन पर्व को भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना गया है. रक्षा बंधन के दिन भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. दरअसल इस समय में रखी बांधना अशुभ माना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल रक्षा बंधन के दिन भद्रा का साया है. आइए जानते है रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त और भद्रा काल समय.

raksha bandhan
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है. इन दिन बहने अपने भाई की कलाई राखी बांधकर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं.

सावन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है. इन दिन बहने अपने भाई की कलाई राखी बांधकर उनके लंबी उम्र की कामना करती हैं. इस पर्व पर भाई भी अपनी बहन को रक्षा का वजन देते हैं. रक्षा बंधन पर्व को भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना गया है. रक्षा बंधन के दिन भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. दरअसल इस समय में रखी बांधना अशुभ माना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल रक्षा बंधन के दिन भद्रा का साया है. आइए जानते है रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त और भद्रा काल समय.

रक्षा बंधन 2022 शुभ मुहूर्त

· रक्षाबंधन तिथि- 11 अगस्त 2022, गुरुवार

· पूर्णिमा तिथि आरंभ- 11 अगस्त, सुबह 10 बजकर 38 मिनट से

· पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 12 अगस्त. सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर

· शुभ मुहूर्त- 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट

· अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक

· अमृत काल- शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक

·  ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक

· रक्षा बंधन 2022 भद्रा काल

· रक्षा बंधन के दिन भद्रा काल की समाप्ति- रात 08 बजकर 51 मिनट पर

· रक्षा बंधन के दिन भद्रा पूंछ- 11 अगस्त को शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तक

· रक्षा बंधन भद्रा मुख - शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक

रक्षा बंधन पर भद्रा काल में इसलिए नहीं बाधते हैं राखी

रक्षा बंधन के दिन भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है. दरअसल इस अशुभ समय में राखी नहीं बांधी जाती है. पैराणिक कथा के अनुसार, भद्रा भगवान सूर्य और छाया की पुत्री है. इस दृष्टिकोण से भद्रा शनि देव की बहन हुईं. कहा जाता है कि जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह समस्त सृष्टि को निगलने वाली थीं. साथ ही वे हवन, यज्ञ और पूजा-पाठ इत्यादि मांगलिक कार्यों में विघ्न उत्पन्न की थीं. इसलिए भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती है.