सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक ही दिन हो रहे हैं। इसके बाद पितरों के श्राद्ध का आयोजन कब होगा

सर्वपितृ अमावस्या सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह पितृ पक्ष के समापन का प्रतीक है और पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित होती है। इस दिन लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं और उनके नाम पर दान-पुण्य करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2024) 2 अक्टूबर 2024 को होगी। इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। आइए जानते हैं कि पितरों का श्राद्ध किस समय करना उचित रहेगा।

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सर्वपितृ अमावस्या सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। यह पितृ पक्ष के समापन का प्रतीक है और पूरी तरह से पूर्वजों को समर्पित होती है। इस दिन लोग अपने पितरों का तर्पण करते हैं और उनके नाम पर दान-पुण्य करते हैं। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2024) 2 अक्टूबर 2024 को होगी। इसी दिन सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। आइए जानते हैं कि पितरों का श्राद्ध किस समय करना उचित रहेगा।

सर्वपितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण का समय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, साल का अंतिम सूर्य ग्रहण 1 अक्टूबर 2024 की रात 09:40 बजे से शुरू होगा और इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 की भोर में 03:17 बजे होगा। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका असर सर्वपितृ अमावस्या पर नहीं पड़ेगा और न ही सूतक काल मान्य होगा। इस दिन आप अपने पितरों का श्राद्ध और अन्य पूजन अनुष्ठान बिना किसी बाधा के कर सकते हैं।

तर्पण करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:

1. तर्पण के समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।

2. तामसिक भोजन और विवाद से दूर रहें।

3. तर्पण दक्षिण दिशा की ओर मुख करके करें।

4. तर्पण में उंगलियों का उपयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि अंगूठे से जल अर्पित करने का विधान है। अंगूठे में कुशा अवश्य धारण करें।

5. कुशा, जल, गंगाजल, दूध और काले तिल से पितरों का ध्यान करते हुए तर्पण करें।