इस नाग पंचमी पर बनेगा शुभ संयोग, जानिए इसकी तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन की सम्पूर्ण विधि

हिंदू धर्म में सावन के महीने के बेहद पवित्र माना गया है. इसलिए इस महीने में पड़ने वाले सभी व्रत-त्योहार भी खास होते हैं. सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है. यह पर्व भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस दिन विधिपूर्वक नाग देवता की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में नाग को देवता का स्वरूप माना जाता है. इसके अलावा नाग भगवान शिव को भी बेहद प्रिय है, इसलिए वे इसे अपने गले में धारण करते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल नाग पंचमी कब है, इसकी पूजा-विधि क्या है.

naag panchami
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हिंदू धर्म में सावन के महीने के बेहद पवित्र माना गया है. इसलिए इस महीने में पड़ने वाले सभी व्रत-त्योहार भी खास होते हैं.

हिंदू धर्म में सावन के महीने के बेहद पवित्र माना गया है. इसलिए इस महीने में पड़ने वाले सभी व्रत-त्योहार भी खास होते हैं. सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाई जाती है. यह पर्व भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. इस दिन विधिपूर्वक नाग देवता की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में नाग को देवता का स्वरूप माना जाता है. इसके अलावा नाग भगवान शिव को भी बेहद प्रिय है, इसलिए वे इसे अपने गले में धारण करते हैं. आइए जानते हैं कि इस साल नाग पंचमी कब है, इसकी पूजा-विधि क्या है.

नाग पंचमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, इस साल नाग पंचमी 02 अगस्त को मनाया जाएगा. पंचमी तिथि की शुरुआत 2 अगस्त को सुबह 5 बजकर 13 मिनट से हो रही है. वहीं पंचमी तिथि की समाप्ति 3 अगस्त को सुबह 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगी. पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे 42 मिनट है.

नाग पंचमी 2022 पूजन सामग्री

नाग पंचमी की पूजा के लिए पूजन सामग्री के रूप में नाग देवता की तस्वीर, दूध, फूल, अक्षत, मेवा, रत्न, फल, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध घी, मिष्ठान, बेलपत्र, धतूर, भांग, जौ, तुलसी के पत्ते, गाय का कच्चा दूध, कपूर, आम का पल्लव, जनेऊ, गन्ने का रस, धूप, दीप, इत्र, रोली, मौली, चंदन, भगवान शिव और मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री.

नाग पंचमी पूजा विधि

भक्त नाग पंचमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करते हैं. इसके बाद घर के पूजा स्थान पर या पूजा मंदिर को साफ-सुथरा करते हैं. इसके बाद वहां नाग देवती की तस्वीर स्थापित करते हैं. फिर उनके समक्ष दीप जलाते हैं. इस दिन शिवलिंग पर जल जरूर अर्पित किया जाता है. साथ ही नाग देवता का अभिषेक किया जाता है. इसके बाग मां पार्वती, भगवान शंकर, भगवान गणेश को भोग लगाया जाता है. इसके बाद उनकी आरती की जाती है.