RBI ने 2000 रुपये को नोट को चलन से बाहर करने का दिया आदेश, नीति आयोग के पूर्व वीसी ने दिया बयान

नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया की ओर से आरबीआई द्वारा 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा पर कहा कि केंद्रीय बैंक के इस फैसले से अर्थव्यवस्था पर सीधा कोई असर नहीं होगा। क्योंकि मौजूदा 2000 के नोटों को सरकार द्वारा छोटी वैल्यू के नोटों से बदल दिया जाएगा।

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नीति आयोग के पूर्व वाइस चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया की ओर से आरबीआई द्वारा 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा पर कहा कि केंद्रीय बैंक के इस फैसले से अर्थव्यवस्था पर सीधा कोई असर नहीं होगा। क्योंकि मौजूदा 2000 के नोटों को सरकार द्वारा छोटी वैल्यू के नोटों से बदल दिया जाएगा।

पनगढ़िया की ओर से बताया गया कि इसके पीछे का उद्देश्य कालेधन का अर्थव्यवस्था में चलन को कम करना है।

समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में उन्होंने कहा कि हम इसका अर्थव्यवस्था पर कोई सीधा प्रभाव नहीं देख रहे हैं। सरकार जल्द इसकी वैल्यू के नोटों को छोटी वैल्यू के नोटों से रिप्लेस कर देगी और पैसे की आपूर्ति पर इसका कोई असर नहीं होगा।

कितनी है कुल करेंसी में 2000 के नोटों की वैल्यू?

पनगढ़िया के मुताबिक, 31 मार्च,2023 तक देश में चल रही कुल मुद्रा की वैल्यू का 10.8 प्रतिशत ही 2000 रुपये का नोटों से आता है। इसमें से ज्यादातर पैसे अवैध लेनदेन को करने के लिए किया जाता है।

अधिकतम कितने 2000 रुपये के नोट बदले जा सकते हैं?

आरबीआई की ओर से शुक्रवार को 2000 रुपये के नोट को चलन से बाहर करने का एलान कर दिया गया था। आम जनता 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक 2000 के नोट को छोटी वैल्यू के नोटों से बदल सकती है। हालांकि, एक बार में अधिकतम 20,000 रुपये या 10 नोट बदले जा सकते हैं।

क्यों जारी हुआ था 2000 का नोट?

2016 में 500 और 1000 रुपये की नोटबंदी के बाद आरबीआई की ओर से 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए थे। उस समय सरकार की ओर से नए नोट जारी करने के लिए तर्क दिया गया था कि इससे जल्द से जल्द पुराने नोटों को नए नोट में बदला जा सकेगा। 2018-19 के बाद 2000 रुपये के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी।