जानिए कब है “जया पार्वती व्रत”, क्या है शुभ मुहूर्त और साथ ही पूजन विधि, भगवान शिव और माँ पार्वती को करें प्रसन्न

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 12 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है. जया पार्वती व्रत को विजया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं और अविवाहित कन्याओं के लिए खास महत्व रखती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस व्रत को रखती हैं. भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत 5 दिनों में पूरा होता है. आएण जानते हैं कि इस बार जया पार्वती व्रत कब है. साथ ही इसकी पूजा-विधि और महत्व क्या है.

jaya parvati vrat
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत रखा जाता है.

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को जया पार्वती व्रत रखा जाता है. इस साल यह व्रत 12 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है. जया पार्वती व्रत को विजया व्रत के नाम से भी जाना जाता है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं और अविवाहित कन्याओं के लिए खास महत्व रखती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं. वहीं कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना से इस व्रत को रखती हैं. भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत 5 दिनों में पूरा होता है. आएण जानते हैं कि इस बार जया पार्वती व्रत कब है. साथ ही इसकी पूजा-विधि और महत्व क्या है.

कब है जया पार्वती व्रत और क्या है शुभ मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार जया पार्वती व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से शुरू होकर कृष्ण पक्ष की तृतीय तक चलती है. 5 दिन तक चलने वाला जया पार्वती व्रत इस बार 12 जुलाई, मंगलवार से 17 जुलाई 2022 रविवार तक चलेगा.

जया पार्वती व्रत की पूजन विधि

जया पार्वती व्रत पालन के समय भक्तगण, विशेष रूप से नमकीन भोजन ग्रहण करने से बचते हैं. जया पार्वती व्रत के पांच दिनों के व्रत की अवधि में इन दौरान नमक का सेवन नहीं किया जाता है. हालांकि कुछ व्रती इन पांच दिनों की उपवास अवधि में किसी प्रकार का अनाज और सभी प्रकार की सब्जियों के उपयोग से भी परहेज करते हैं. जया पार्वती व्रत के पहले दिन एक छोटे पात्र में ज्वार या गेहूं के दानों को बोया जाता है. इसके बाद उसे पूजा स्थान पर रखा जाता है. 5 दिन तक इस पात्र की पूजा की जाती है. पूजा के समय, सूती ऊन से बने एक हार को कुमकुम या सिंदूर से सजाया जाता है. सूती ऊन से बने इस हार को नगला के नाम से जाना जाता है. यह व्रत पांच दिनों तक लगतार चलता है और प्रत्येक सुबह ज्वार या गेहूं के दानों को जल अर्पित किया जाता है. भगवान शिव और माता पार्वती की 5 दिनों तक विधि-विधान से पूजा करने पर व्रती को मनोवांछित फल प्राप्त होता है. व्रत के समय सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को अपने घर पर बुलाती हैं. उन्हें सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद देती हैं. व्रत पारण करते समय रात्रि का जागरण किया जाता है. अगले दिन व्रत का पारण किया जाता है.