गुजरात क्यों बना हुआ है चांदीपुरा वायरस का हॉटस्पॉट? इसके पीछे की वजह क्या है
गुजरात में चांदीपुरा वायरस का कहर जारी है। अब तक इस वायरस के कारण राज्य में लगभग 13 लोगों की जान जा चुकी है और 26 मामले सामने आ चुके हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में, राजस्थान में भी इस वायरस से एक मौत हुई है और मध्य प्रदेश में भी एक मामला सामने आया है। दोनों राज्य गुजरात के पड़ोसी हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर गुजरात में ही चांदीपुरा वायरस का प्रकोप क्यों हो रहा है।
गुजरात में चांदीपुरा वायरस का कहर जारी है। अब तक इस वायरस के कारण राज्य में लगभग 13 लोगों की जान जा चुकी है और 26 मामले सामने आ चुके हैं। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में, राजस्थान में भी इस वायरस से एक मौत हुई है और मध्य प्रदेश में भी एक मामला सामने आया है। दोनों राज्य गुजरात के पड़ोसी हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर गुजरात में ही चांदीपुरा वायरस का प्रकोप क्यों हो रहा है।
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने सी.के. बिरला हॉस्पिटल, गुरुग्राम की न्योनेटोलॉजी और पेडियाट्रिक्स कंसलटेंट, डॉ. श्रेया दुबे से बात की। उन्होंने बताया कि चांदीपुरा वायरस का यह प्रकोप पहली बार नहीं है। पहले भी इसके मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि, इस बार गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में इस वायरस का प्रकोप ज्यादा देखा जा रहा है, खासकर गुजरात में स्थिति ज्यादा गंभीर है।
गुजरात में चांदीपुरा वायरस के तेजी से फैलने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इस क्षेत्र में सैंडफ्लाई, टिक्स, फ्लेबोटोमी और मानसून में बढ़ते मच्छरों की संख्या इस वायरस के फैलने में मुख्य भूमिका निभाते हैं, क्योंकि ये सभी इसके वाहक (कैरीयर) होते हैं। साफ-सफाई की कमी, खराब हाइजीन और खराब हवा की गुणवत्ता भी इस संक्रमण के तेजी से फैलने में योगदान देते हैं। मानसून के दौरान जल-जमाव, गंदगी और कीड़े-मकौड़े की बढ़ती संख्या भी इसके फैलने के कारण हो सकते हैं।
चांदीपुरा वायरस (CHPV) रैब्डोविरिडे फैमिली से संबंधित है और इसके लक्षण फ्लू और एक्यूट एंसेफ्लाइटिस जैसे होते हैं, जिनमें तेज बुखार, सिर दर्द और दिमाग में सूजन शामिल हैं। यह वायरस मानसून के दौरान ज्यादा फैलता है, खासकर भारत के पश्चिमी, दक्षिणी और सेंट्रल हिस्सों में। इसे पहली बार 1965 में महाराष्ट्र के एक गांव में पहचाना गया था। सैंडफ्लाई, जो मानसून में ज्यादा संख्या में पाई जाती हैं, इस वायरस के मुख्य वेक्टर माने जाते हैं। इस वायरस से ज्यादातर 15 साल से कम उम्र के बच्चे प्रभावित होते हैं, हालांकि वयस्क भी संक्रमित हो सकते हैं। यह संक्रमण गंभीर हो सकता है और जानलेवा भी हो सकता है।
चांदीपुरा वायरस से बचाव के लिए अभी तक कोई वैक्सीन या एंटीवायरल दवा नहीं है। इसलिए बचाव का सबसे अच्छा तरीका सैंडफ्लाई, मक्खी और मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करना है। इसके लिए आस-पास सफाई रखें, पानी इकट्ठा न होने दें, कचरा जमा न होने दें, खुले में मल या शौच न करें, कूड़ेदान को ढककर रखें और मक्खियों को घर में आने से रोकने के लिए फ्लाई पेपर का इस्तेमाल करें। मच्छरों और सैंडफ्लाई के काटने से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें, शाम के समय खिड़की और दरवाजों की जाली बंद कर दें, पूरी बाजू के कपड़े पहनें और मच्छर भगाने वाले रिपेलेंट का इस्तेमाल करें।
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