'हेट स्पीच' के मामले को लेकर चुनाव आयोग ने केंद्र सरकार की ओर किया रुख, सुप्रीम कोर्ट दिया हलफनामा और रखी अपनी बात

चुनाव आयोग ने 'हेट स्पीच' के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हेट स्पीच को लेकर आयोग ने एक बार फिर गेंद को केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है. आयोग ने कहा कि उम्मीदवारों को तब तक प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता जब तक केंद्र सरकार 'हेट स्पीच' या' 'घृणा फैलाने' को परिभाषित नहीं करती. इस मामले में आयोग केवल IPC या जनप्रतिनिधित्व कानून का उपयोग करता है. उसके पास किसी राजनीतिक दल की मान्यता वापस लेने या उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का कानूनी अधिकार नहीं है. अगर कोई पार्टी या उसके सदस्य 'हेट स्पीच' में लिप्त होते हैं तो उसके पास डी-रजिस्टर करने की शक्ति नहीं है.
चुनाव आयोग ने केंद्र के पाले में डाली गेंद
चुनाव आयोग ने कहा है कि हेट स्पीच और अफवाह फैलाने वाले किसी विशिष्ट कानून के अभाव में चुनाव आयोग IPC के विभिन्न प्रावधानों को लागू करता है. जैसे कि धारा 153 ए- समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम समय-समय पर एडवाइजरी भी जारी कर पार्टियों से ऐसा काम करने से दूर रहने की अपील करते हैं. यह चुनाव आचार संहिता का भी हिस्सा है.
SC केंद्र और चुनाव आयोग को दे चुका है नोटिस
 इससे पहले जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में केन्द्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था. अदालत ने दोनों से तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा था. भड़काऊ और घृणित भाषण को लेकर BJP नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की. इस याचिका में कथित घृणित और भड़काऊ भाषण पर विधि आयोग की रिपोर्ट को तुरंत लागू करने का निर्देश जारी करने का कोर्ट से अनुरोध किया गया है. उपाध्याय ने हेट स्पीच पर विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट को लागू करने की मांग की है.2017 में विधि आयोग ने दिया था ये सुझाव
दरअसल, साल 2017 में विधि आयोग ने घृणित एवं भड़काऊ भाषण को परिभाषित किया था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 153 सी और 505 ए को जोड़ने का सुझाव दिया था.
आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि हेट स्पीच को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है और मौजूदा दौर में हेट स्पीच के जरिए नफरत फैलाने वाले भड़काऊ भाषण या बयान देने वालों पर समुचित कार्रवाई करने में मौजूदा कानून सक्षम नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में समुचित आदेश देना चाहिए, क्योंकि, विधि आयोग ने पिछले साल यानी 2017 के मार्च में सौंपी 267वीं रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया है कि आपराधिक कानून में हेट स्पीच को लेकर जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए.

rajya sabha
स्टोरी हाइलाइट्स
  • हेट स्पीच को लेकर निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया है.

चुनाव आयोग ने 'हेट स्पीच' के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. हेट स्पीच को लेकर आयोग ने एक बार फिर गेंद को केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है. आयोग ने कहा कि उम्मीदवारों को तब तक प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता जब तक केंद्र सरकार 'हेट स्पीच' या' 'घृणा फैलाने' को परिभाषित नहीं करती. इस मामले में आयोग केवल IPC या जनप्रतिनिधित्व कानून का उपयोग करता है. उसके पास किसी राजनीतिक दल की मान्यता वापस लेने या उसके सदस्यों को अयोग्य घोषित करने का कानूनी अधिकार नहीं है. अगर कोई पार्टी या उसके सदस्य 'हेट स्पीच' में लिप्त होते हैं तो उसके पास डी-रजिस्टर करने की शक्ति नहीं है.
चुनाव आयोग ने केंद्र के पाले में डाली गेंद
चुनाव आयोग ने कहा है कि हेट स्पीच और अफवाह फैलाने वाले किसी विशिष्ट कानून के अभाव में चुनाव आयोग IPC के विभिन्न प्रावधानों को लागू करता है. जैसे कि धारा 153 ए- समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम समय-समय पर एडवाइजरी भी जारी कर पार्टियों से ऐसा काम करने से दूर रहने की अपील करते हैं. यह चुनाव आचार संहिता का भी हिस्सा है.
SC केंद्र और चुनाव आयोग को दे चुका है नोटिस
 इससे पहले जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में केन्द्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था. अदालत ने दोनों से तीन हफ्ते के भीतर जवाब देने को कहा था. भड़काऊ और घृणित भाषण को लेकर BJP नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर की. इस याचिका में कथित घृणित और भड़काऊ भाषण पर विधि आयोग की रिपोर्ट को तुरंत लागू करने का निर्देश जारी करने का कोर्ट से अनुरोध किया गया है. उपाध्याय ने हेट स्पीच पर विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट को लागू करने की मांग की है.2017 में विधि आयोग ने दिया था ये सुझाव
दरअसल, साल 2017 में विधि आयोग ने घृणित एवं भड़काऊ भाषण को परिभाषित किया था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) में धारा 153 सी और 505 ए को जोड़ने का सुझाव दिया था.
आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि हेट स्पीच को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है और मौजूदा दौर में हेट स्पीच के जरिए नफरत फैलाने वाले भड़काऊ भाषण या बयान देने वालों पर समुचित कार्रवाई करने में मौजूदा कानून सक्षम नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में समुचित आदेश देना चाहिए, क्योंकि, विधि आयोग ने पिछले साल यानी 2017 के मार्च में सौंपी 267वीं रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया है कि आपराधिक कानून में हेट स्पीच को लेकर जरूरी संशोधन किए जाने चाहिए.