डिफेंस सेक्टर में भारत का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। भारत ने अमेरिका, फ्रांस समेत 100 देशों को 21,000 करोड़ रुपये के हथियार बेचे हैं। इन हथियारों के सबसे बड़े खरीदार कौन हैं, इस पर भी नजर डालना जरूरी है।

भारत अब तेजी से हथियारों के निर्यात में आगे बढ़ रहा है, और आयात की तुलना में निर्यात पर अधिक जोर दे रहा है। कुछ साल पहले तक, भारत अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदता था, लेकिन अब ये देश भारत से रक्षा सामग्री खरीद रहे हैं।

स्टोरी हाइलाइट्स
  • निर्यात की प्रमुख वस्तुएं

भारत अब तेजी से हथियारों के निर्यात में आगे बढ़ रहा है, और आयात की तुलना में निर्यात पर अधिक जोर दे रहा है। कुछ साल पहले तक, भारत अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से बड़े पैमाने पर हथियार खरीदता था, लेकिन अब ये देश भारत से रक्षा सामग्री खरीद रहे हैं।


आर्मेनिया: सबसे बड़ा खरीदार


आर्मेनिया हाल ही में भारत का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है। अजरबैजान के साथ संघर्ष के चलते आर्मेनिया ने भारत से आकाश वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम, पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और 155 मिमी आर्टिलरी गन जैसी कई हथियार प्रणालियाँ खरीदी हैं।


 निर्यात की प्रमुख वस्तुएं


भारत की सरकारी और निजी कंपनियां लगभग 100 देशों को हथियार, गोला-बारूद, और फ्यूज का निर्यात कर रही हैं। इसमें शामिल हैं:


- ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल

- डोर्नियर-228 विमान

- आर्टिलरी गन

- रडार

- आकाश मिसाइल

- पिनाका रॉकेट और बख्तरबंद वाहन


 प्रमुख खरीदार


भारत के डिफेंस निर्यात के शीर्ष तीन खरीदार हैं: अमेरिका, फ्रांस, और आर्मेनिया। आर्मेनिया ने पिछले चार वर्षों में भारत के साथ कई सौदे किए हैं, जिसमें मिसाइलें, आर्टिलरी गन, और नाइट-विजन उपकरण शामिल हैं। यह विकास नागोर्नो-करबाख क्षेत्र में अजरबैजान के साथ उनकी टकराव के बाद तेजी से हुआ।


 आकाश मिसाइल का पहला विदेशी ग्राहक


आर्मेनिया ने स्वदेशी रूप से विकसित आकाश एयर डिफेंस मिसाइल का पहला विदेशी ग्राहक बनकर एक नया मील का पत्थर स्थापित किया है। ब्राजील भी इस मिसाइल में रुचि दिखा रहा है। 


भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस को ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइलों के निर्यात के लिए 3,100 करोड़ रुपये का करार किया था। इसके अलावा, अन्य आसियान और कुछ खाड़ी देश भी भारत द्वारा सह-विकसित सटीक-स्ट्राइक मिसाइलों में रुचि दिखा रहे हैं। 


भारत का यह विकास दर्शाता है कि वह अब एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।