महाशक्ति और ड्रैगन की होने वाली है आमने-सामने होगी मुलाकात, ये रहेंगे ख़ास मुद्दे जिनसे खड़े हो सकते हैं बड़े विवाद

अमेरिकी राष्ट्रपत जो बाइडेन और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग ने गुरुवार को हुई एक फोन कॉल पर आमने-सामने मुलाकात करने पर बात की. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी शी चिनफिंग से पहली मुलाकात होगी. अमेरिकी अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि अमेरिका और चीन नेताओं के बीच आमने-सामने मिलने के मूल्य पर बात हुई. दोनों तरफ के अधिकारी अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की आमने-सामने मुलाकात के लिए ऐसा समय निकालेंगे जो दोनों पक्षों को मंजूर होगा.
शी चिनफिंग  से जो बाइडेन की मुलाकात कई मायनों में खास होने वाली है. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान चीन अब तक रूस के पक्ष में खड़ा दिखा है. ऐसे में रूस को दुनिया में अलग-थलग करने के अभियान में लगे अमेरिका की तरफ से कोशिश होगी चीन को रूस से दूरियां बनाने के लिए तैयार किया जाए. इसके लिए अमेरिका यूक्रेन में रूस पर दबाव बनाने के लिए, चीन पर लगाए गए प्रतिबंधों में कुछ रियायतें देने का प्रस्ताव दे सकता है, जिसके बदले में अमेरिका चाहेगा कि चीन रूस से रिश्ते सीमित करे.
2. ताइवान और चीन
वहीं चीन का दबाव ताइवान पर बढ़ता ही जा रहा है. चीन ताइवान का अस्तित्व अलग देश के तौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहा है और आए दिन ताइवान पर यह खतरा मंडरता रहता है कि चीन जबरन ताइवान की अलग पहचान को खत्म कर देगा. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद चीन के ताइवान पर कब्जे की आशंकाएं पहले से अधिक बढ़ गई हैं. इस मामले पर अमेरिका एक तरफ जहां ताइवान के साथ खड़े होने की बात करता है तो दूसरी ओर चीन अमेरिका को ताइवान में हस्तक्षेप करने के खिलाफ सावधान करता है.
3. व्यापारिक तनाव
 कोरोना से पहले ही अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव को लेकर तल्खियां दुनिया में अपनी ताकत साबित करने को लेकर चरम पर पहुंच गईं थीं. इसके बाद लॉकडाउन के दौरान सप्लाई चेन में चीन के दबदबे के कारण अमेरिका को भी नुकसान झेलना पड़ा.
4. मानवाधिकार और प्रतिबंध
ऊईगुर मुस्लिमों और मानवाधिकार के कई मुद्दों पर अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाए. कोरोनावायरस फैलने पर अमेरिका की तरफ से चीन पर साज़िश करने के आरोप लगाए गए. तिब्बत, होन्ग कोंग  में लोकतंत्र को लेकर भी अमेरिका और चीन के बीच विवाद की बना रहा है.
5. हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अर्थव्यवस्था
हिंद- प्रशांत  क्षेत्र में दबदबा बनाने को लेकर चीन और अमेरिका लगातार एक दूसरे को आंखें दिखाते रहे हैं. हिंद -प्रशांत में चीन की बढ़ती आक्रमकता पर लगाम लगाने की अमेरिका की कोशिशें चीन को रास नहीं आतीं. उधर, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत और जापान का क्वाड गठबंधन भी चीन के गले नहीं उतर रहा है.  पिछले दिनों चीन की अर्थव्यवस्था को भी कई झटके लगने की खबरें आईं थीं और अमेरिका में भी कई विशेषज्ञ मंदी आने की अटकलें लगा रहे हैं. ऐसे माहौल के बीच अमेरिका के और चीन के शीर्ष नेताओं की मुलाकात में इनमें से कई मुद्दों पर बातचीत हो सकती है. हो सकता है कि तत्काल सभी मुद्दों का हल ना निकले लेकिन इस मुलाकात पर ख़ास तौर से रूस और भारत की बारीक नज़र ज़रूर होगी.

स्टोरी हाइलाइट्स
  • जो बाइडेन (Joe Biden) और शी चिनफिंग (Xi Jinping) ने फोन पर आमने-सामने मिलने के बारे में तय किया

अमेरिकी राष्ट्रपत जो बाइडेन और उनके चीनी समकक्ष शी चिनफिंग ने गुरुवार को हुई एक फोन कॉल पर आमने-सामने मुलाकात करने पर बात की. जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी शी चिनफिंग से पहली मुलाकात होगी. अमेरिकी अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि अमेरिका और चीन नेताओं के बीच आमने-सामने मिलने के मूल्य पर बात हुई. दोनों तरफ के अधिकारी अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की आमने-सामने मुलाकात के लिए ऐसा समय निकालेंगे जो दोनों पक्षों को मंजूर होगा.
शी चिनफिंग  से जो बाइडेन की मुलाकात कई मायनों में खास होने वाली है. रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान चीन अब तक रूस के पक्ष में खड़ा दिखा है. ऐसे में रूस को दुनिया में अलग-थलग करने के अभियान में लगे अमेरिका की तरफ से कोशिश होगी चीन को रूस से दूरियां बनाने के लिए तैयार किया जाए. इसके लिए अमेरिका यूक्रेन में रूस पर दबाव बनाने के लिए, चीन पर लगाए गए प्रतिबंधों में कुछ रियायतें देने का प्रस्ताव दे सकता है, जिसके बदले में अमेरिका चाहेगा कि चीन रूस से रिश्ते सीमित करे.
2. ताइवान और चीन
वहीं चीन का दबाव ताइवान पर बढ़ता ही जा रहा है. चीन ताइवान का अस्तित्व अलग देश के तौर पर स्वीकार नहीं कर पा रहा है और आए दिन ताइवान पर यह खतरा मंडरता रहता है कि चीन जबरन ताइवान की अलग पहचान को खत्म कर देगा. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद चीन के ताइवान पर कब्जे की आशंकाएं पहले से अधिक बढ़ गई हैं. इस मामले पर अमेरिका एक तरफ जहां ताइवान के साथ खड़े होने की बात करता है तो दूसरी ओर चीन अमेरिका को ताइवान में हस्तक्षेप करने के खिलाफ सावधान करता है.
3. व्यापारिक तनाव
 कोरोना से पहले ही अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव को लेकर तल्खियां दुनिया में अपनी ताकत साबित करने को लेकर चरम पर पहुंच गईं थीं. इसके बाद लॉकडाउन के दौरान सप्लाई चेन में चीन के दबदबे के कारण अमेरिका को भी नुकसान झेलना पड़ा.
4. मानवाधिकार और प्रतिबंध
ऊईगुर मुस्लिमों और मानवाधिकार के कई मुद्दों पर अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाए. कोरोनावायरस फैलने पर अमेरिका की तरफ से चीन पर साज़िश करने के आरोप लगाए गए. तिब्बत, होन्ग कोंग  में लोकतंत्र को लेकर भी अमेरिका और चीन के बीच विवाद की बना रहा है.
5. हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अर्थव्यवस्था
हिंद- प्रशांत  क्षेत्र में दबदबा बनाने को लेकर चीन और अमेरिका लगातार एक दूसरे को आंखें दिखाते रहे हैं. हिंद -प्रशांत में चीन की बढ़ती आक्रमकता पर लगाम लगाने की अमेरिका की कोशिशें चीन को रास नहीं आतीं. उधर, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, भारत और जापान का क्वाड गठबंधन भी चीन के गले नहीं उतर रहा है.  पिछले दिनों चीन की अर्थव्यवस्था को भी कई झटके लगने की खबरें आईं थीं और अमेरिका में भी कई विशेषज्ञ मंदी आने की अटकलें लगा रहे हैं. ऐसे माहौल के बीच अमेरिका के और चीन के शीर्ष नेताओं की मुलाकात में इनमें से कई मुद्दों पर बातचीत हो सकती है. हो सकता है कि तत्काल सभी मुद्दों का हल ना निकले लेकिन इस मुलाकात पर ख़ास तौर से रूस और भारत की बारीक नज़र ज़रूर होगी.