मुद्रास्फीति अपने अनुमानित 6.7% पर कायम, अर्थव्यवस्था को लेकर RBI अभी भी है आशावान

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भू-राजनीतिक घटनाक्रमों तथा जिंसों की ऊंची कीमतों के बीच चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा है. हालांकि, केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि खरीफ की बुवाई बढ़ने और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार से आगे चलकर मुद्रास्फीतिक दबाव कम होगा. जून में पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया था

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भू-राजनीतिक घटनाक्रमों तथा जिंसों की ऊंची कीमतों के बीच चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा है. हालांकि, केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि खरीफ की बुवाई बढ़ने और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार से आगे चलकर मुद्रास्फीतिक दबाव कम होगा. जून में पिछली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया था

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर रहेगी. रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) पर रखने का लक्ष्य दिया गया है. दास ने मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि खाद्य पदार्थों तथा धातुओं के दाम अपने हालिया उच्चस्तर से नीचे आ चुके हैं, लेकिन भू-राजनीतिक झटकों की वजह से मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितता की स्थिति अभी बनी हुई है.

उन्होंने कहा कि हाल के हफ्तों में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम नरम हुए हैं, लेकिन ये अब भी उच्चस्तर पर हैं और इनमें उतार-चढ़ाव है. वैश्विक मांग परिदृश्य कमजोर होने के बीच आपूर्ति पक्ष की चिंताएं हैं. दास ने कहा कि 2022 में मानसून सामान्य रहने और भारत का कच्चे तेल का आयात औसतन 105 डॉलर प्रति बैरल रहने के अनुमान के आधार पर 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर कायम रखा गया है. रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 7.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहेगी.

दास ने कहा कि मुद्रास्फीतिक परिदृश्य के संदर्भ में जोखिम समान रूप से संतुलित हैं. रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2023-24 की पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच प्रतिशत पर आ जाएगी.

"तमाम झटकों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता बरकरार"

शक्तिकांत दास ने कहा कि गंभीर दूरगामी प्रभाव वाली दो अप्रत्याशित घटनाओं और कई झटकों के बाद भी देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में स्थिरता का ‘द्वीप' बनी हुई है. दास ने कहा, ‘‘व्यापक स्तर पर उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था आज दुनिया में वृहत आर्थिक तथा वित्तीय स्थिरता का ‘प्रतीक' बनी हुई है. हालांकि, दास ने यह नहीं बताया कि दो अप्रत्याशित घटनाएं क्या हैं. हाल के समय में कोरोनावायरस महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को व्यापक स्तर पर प्रभावित किया है.

उन्होंने यह भी कहा कि देश का चालू खाते का घाटा प्रबंधन योग्य होगा और केंद्रीय बैंक के पास इस अंतर को पाटने की पूरी क्षमता है.