एनर्जी स्टोरेज प्लांट से खत्म होगी मुफ्त बिजली की राजनीति सरकार ने बनाया खास प्लान

देश की राजनीति में मुफ्त सुविधाएं देने की होड़ बढ़ती जा रही है, जिसमें मुफ्त बिजली देने का चलन भी शामिल है। लेकिन केंद्र सरकार ने ऊर्जा भंडारण (एनर्जी स्टोरेज) वाले संयंत्रों को इस व्यवस्था से अलग रखने का संकेत दिया है। सरकार का इरादा है कि ऊर्जा भंडारण संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति पर उपभोक्ताओं से पूरी कीमत ली जाए और इसे मुफ्त में नहीं दिया जाए। राज्यों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इन संयंत्रों से ली गई बिजली को मुफ्त में किसी वर्ग को न दें। 

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देश की राजनीति में मुफ्त सुविधाएं देने की होड़ बढ़ती जा रही है, जिसमें मुफ्त बिजली देने का चलन भी शामिल है। लेकिन केंद्र सरकार ने ऊर्जा भंडारण (एनर्जी स्टोरेज) वाले संयंत्रों को इस व्यवस्था से अलग रखने का संकेत दिया है। सरकार का इरादा है कि ऊर्जा भंडारण संयंत्रों से बिजली की आपूर्ति पर उपभोक्ताओं से पूरी कीमत ली जाए और इसे मुफ्त में नहीं दिया जाए। राज्यों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इन संयंत्रों से ली गई बिजली को मुफ्त में किसी वर्ग को न दें। 

ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़ाने की योजना

हाल ही में केंद्रीय बिजली मंत्री की अध्यक्षता में राज्यों के बिजली मंत्रियों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक हुई। इसमें केंद्र सरकार ने वर्ष 2029-30 तक 60-70 हजार मेगावाट ऊर्जा भंडारण क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। वर्तमान में देश में यह क्षमता काफी कम है, लेकिन इसे बढ़ाना महत्वपूर्ण है ताकि ऊर्जा की जरूरतें पूरी की जा सकें।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को 2070 तक "नेट जीरो" लक्ष्य हासिल करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता होगी। लेकिन सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों से 24 घंटे बिजली उपलब्ध नहीं हो सकती। इसलिए ऊर्जा भंडारण की पर्याप्त व्यवस्था आवश्यक है।

मुफ्त बिजली पर रोक लगाने की पहल

केंद्र सरकार ऊर्जा भंडारण के लिए विभिन्न तकनीकों को बढ़ावा देने पर काम कर रही है, जिसमें बैटरी स्टोरेज सबसे अहम है। इसके अलावा पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज, कंप्रेस्ड एयर एनर्जी स्टोरेज और थर्मल एनर्जी स्टोरेज जैसे विकल्प भी शामिल हैं। अभी तक की नीति के अनुसार, किसी भी ऊर्जा संयंत्र से उत्पादित बिजली का एक हिस्सा उस राज्य को मुफ्त में मिलता है, लेकिन बैटरी स्टोरेज संयंत्रों को इस नियम से अलग रखा जाएगा। राज्यों को इन संयंत्रों से ली गई बिजली का भुगतान करना होगा। 

बैटरी स्टोरेज के लिए वित्तीय प्रोत्साहन

2025-26 के आम बजट में बैटरी स्टोरेज परियोजनाओं को प्रोत्साहन देने की योजना है, जिसमें कर छूट शामिल होगी। इसके लिए भारी उद्योग मंत्रालय, नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच चर्चा अंतिम चरण में है। इसी कारण वर्ष 2024 में 10,000 मेगावाट क्षमता के बैटरी स्टोरेज सिस्टम के लिए निविदाएं जारी करने की योजना फिलहाल टाल दी गई है। इनकी घोषणा वित्तीय प्रोत्साहन की नीति तय होने के बाद की जाएगी।

मौजूदा परियोजनाएं और भविष्य की जरूरतें

देश के कई हिस्सों में बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) स्थापित किए जा रहे हैं। जैसे, सन सोर्स एनर्जी लक्षद्वीप में, टाटा पावर लेह और छत्तीसगढ़ में, और जेएसडब्ल्यू रीन्यू 500 मेगावाट क्षमता के BESS पर काम कर रहे हैं। 

केंद्रीय बिजली आयोग (सीईसी) की राष्ट्रीय बिजली योजना-2023 के मुताबिक, 2030-31 तक देश में 2.36 लाख मेगावाट ऊर्जा भंडारण क्षमता होनी चाहिए। पम्प्ड हाइड्रो स्टोरेज सिस्टम भी ऊर्जा भंडारण का एक अहम विकल्प है, जिसमें पानी को ऊंचाई पर जमा कर जरूरत पड़ने पर बिजली बनाई जाती है। 

निष्कर्ष

सरकार की प्राथमिकता यह है कि ऊर्जा भंडारण से मिलने वाली बिजली का सही मूल्य वसूला जाए और इसे मुफ्त वितरण से बचाया जाए। इसके साथ ही निजी और सरकारी निवेश को प्रोत्साहित कर इस क्षेत्र में विकास किया जाए, ताकि ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ पर्यावरणीय लक्ष्यों को भी हासिल किया जा सके।