स्कंद षष्ठी के व्रत से मिलती है मंगल दोष से मुक्ति, इस तरीके से पूजा करें

स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त 

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स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त 

आश्विन माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 20 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन सुबह 12 बजकर 31 मिनट पर होगी। जिसका समापन 20 अक्टूबर को ही रात 11 बजकर 24 मिनट पर होगा।

स्कंद षष्ठी का महत्व 

स्कंद देव भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र और भगवान गणेश के छोटे भाई हैं। हिंदू धर्म में भगवान कार्तिकेय की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने से जीवन से जुड़ी सभी बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। भगवान कार्तिकेय को देवताओं के सेनापति भी माना गया है।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

स्कंद षष्ठी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर, स्नान-ध्यान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा के स्थान पर भगवान कार्तिकेय की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें। भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ माता पार्वती और महादेव की पूजा जरूर करें। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को पुष्प, चंदन, धूप, दीप नैवेद्य अर्पित करें। साथ ही फल, मिष्ठान और वस्त्र, आदि भी चढ़ाएं। भगवान कार्तिकेय को मोर पंख अति प्रिय है, इसलिए आप उन्हें पूजा के दौरान मोर पंख भी अर्पित कर सकते हैं।