जानिए,सुहागिन महिलाएं क्यों लगाती हैं सिंदूर
हिंदू धर्म में, सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। विवाह के बाद, हिंदू महिलाएं सिंदूर को अपनी मांग में लगाती हैं और इसे पवित्र मानती हैं। सिंदूर सुहागिन महिलाओं की पहचान बन चुका है। सिंदूर का महत्व धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी है।
हिंदू धर्म में, सिंदूर को सुहाग की निशानी माना जाता है। विवाह के बाद, हिंदू महिलाएं सिंदूर को अपनी मांग में लगाती हैं और इसे पवित्र मानती हैं। सिंदूर सुहागिन महिलाओं की पहचान बन चुका है। सिंदूर का महत्व धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी है।
सिंदूर का महत्व धार्मिक दृष्टि से
भारतीय संस्कृति में सिंदूर का प्रचलन बहुत पुराना है, और इसका उल्लेख रामायण और महाभारत काल से मिलता है। विवाह समय, दूल्हे द्वारा दुल्हन की मांग में सिंदूर भरना एक परंपरागत रीति है। इसके साथ ही, माना जाता है कि महिला जितना लंबा सिंदूर अपनी मांग में भरती है, उसके पति की उम्र भी उतनी ही लंबी होती है। इसलिए, सुहागिन महिलाएं दिन-रात मांग में सिंदूर लगाती हैं।
सिंदूर से संबंधित पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार, माता सीता एक बार अपनी मांग में सिंदूर लगा रही थी, तो हनुमान जी ने पूछा कि माता, आप अपनी मांग में इस लाल रंग को क्यों लगा रही हैं। सीता जी ने उत्तर दिया कि श्री राम इस सिंदूर को देखकर बहुत प्रसन्न होते हैं, इसलिए मैं इसे अपनी मांग में लगाती हूं। तब हनुमान जी ने सोचा कि अगर सीता माता की मांग में थोड़ा सा सिंदूर इतना प्रसन्न कर सकता है, तो वह अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर भगवान राम को कितना प्रसन्न कर सकता है। इसके बाद, वह अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगाकर भरी सभा में चले गए, जिसे देखकर सभी हंसते हैं, लेकिन प्रभु श्री राम बहुत प्रसन्न हुए। माना जाता है कि तब से हनुमान जी पर सिंदूर चढ़ाने का प्रथा चली आ रहा है।
वैज्ञानिक फायदे
सनातन संस्कृति के अधिकांश प्रथाओं में वैज्ञानिक आधार भी होता है। सिंदूर को मांग के बीच में लगाने से पारा धातु का प्रयोग होता है, जो ब्रह्मरंध्र ग्रंथि के लिए अत्यंत गुणकारी माना जाता है। इससे महिलाओं का मानसिक तनाव कम होता है और रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है।
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