अक्टूबर में इस दिन कोजागर पूजा मनाई जाएगी, जानिए मां लक्ष्मी के पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व

पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम आदि राज्यों में, देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन आश्विन माह की चंद्र माह की पूर्णिमा को माना जाता है। आश्विन महीने में पूर्णिमा तिथि यानी शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा को कोजागर पूजा के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कोजागरी पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त।

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पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम आदि राज्यों में, देवी लक्ष्मी की पूजा करने का सबसे महत्वपूर्ण दिन आश्विन माह की चंद्र माह की पूर्णिमा को माना जाता है। आश्विन महीने में पूर्णिमा तिथि यानी शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा को कोजागर पूजा के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कोजागरी पूजा का महत्व और शुभ मुहूर्त।

कोजागर पूजा का शुभ मुहूर्त 

पूर्णिमा तिथि का प्रारम्भ 28 अक्टूबर सुबह 04 बजकर 17 मिनट पर हो रहा है। वहीं इसका समापन 29 अक्टूबर को सुबह 01 बजकर 53 मिनट पर होगा। कोजागरी पूजा, निशिता काल में करने का विधान है। ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर, रात 11 बजकर 39 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन चन्द्रोदय शाम 05 बजकर 19 मिनट पर होगा।

कोजागर पूजा का महत्व 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान धन की देवी मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इसलिए शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को कई स्थानों पर कोजागर पूजा के नाम से जाना जाता है। ऐसे में कोजागर पूजा का दिन भी मां लक्ष्मी की आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन दीपावली की तरह ही मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। ऐसा करने से व्यक्ति को धन संबंधी सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।

इस तरह लगाएं खीर का भोग 

कोजागर पूजा के दिन दूध से बनी खीर को एक बर्तन में रखकर चांदनी रात में रख दें। इसके बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा निकलने के बाद घर के सामने 11 दीपक जलाकर इस खीर का भोग मां लक्ष्मी को लगाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर साधक पर अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं। इसके बाद इस खीर को ब्राह्मणों को प्रसाद के रूप में देना चाहिए। अगले दिन मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा कर व्रत का पारण करें।