शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण हो रहा है, खीर का भोग लगाने से पहले ये महत्वपूर्ण बातें जान लें

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। इसी तरह शरद पूर्णिमा, जो आश्विन माह में आती है, अन्य सभी पूर्णिमाओं से भी अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन चांदनी रात में खीर को रखकर मां लक्ष्मी को भोग लगाया जाता है। इस वर्ष, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी हो रहा है। इसलिए लक्ष्मी माता को खीर का भोग लगाने से पहले कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है।

sharad purnima

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को विशेष महत्व दिया जाता है। इसी तरह शरद पूर्णिमा, जो आश्विन माह में आती है, अन्य सभी पूर्णिमाओं से भी अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस दिन चांदनी रात में खीर को रखकर मां लक्ष्मी को भोग लगाया जाता है। इस वर्ष, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी हो रहा है। इसलिए लक्ष्मी माता को खीर का भोग लगाने से पहले कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है।

शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व

हिन्दू धर्म में, शरद पूर्णिमा वर्ष में एकमात्र ऐसा दिन माना जाता है जब चन्द्रमा अपनी सभी सोलह कलाओं के साथ निकलता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। शरद पूर्णिमा के दिन पारंपरिक रूप से दूध और चावल की खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात के लिए चांदनी में रखा जाता है। ऐसा करने से उस खीर में चन्द्रमा के औषधीय व दैवीय गुण आ जाते हैं, जो व्यक्ति के लिए बहुत-ही लाभकारी सिद्ध होते हैं।

खीर का भोग लगाने के नियम

चंद्र ग्रहण मेष राशि में लग रहा है। इसलिए, शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चांदनी में रखने का विशेष महत्व है। हालांकि, इस साल शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होने की वजह से लोग विचलित हैं कि क्या खीर का भोग लगाना चाहिए या नहीं। इसके लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है।

सबसे पहले, खीर बनाते समय उस दूध में जो आप ला रहे हैं, उसमें सूतक काल शुरू होने से पहले तुलसी के पत्ते डाल दें। चंद्र ग्रहण से पहले, यानी सूतक काल में, आप खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख सकते हैं। हालांकि ध्यान दें कि बनाई गई खीर उस समय तक पकाएं जब तक ग्रहण शुरू नहीं हो गया हो, क्योंकि इसके बाद खीर दूषित मानी जाती है, जिसका सेवन नहीं करना चाहिए।