आमलकी एकादशी पर व्रत रखने वालों को इन चीजों से परहेज करना चाहिए, नहीं तो व्रत हो सकता है खंडित!

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और श्रद्धालु इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जो हर महीने दो बार—शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती हैं। इनमें से हर एकादशी का अपना अलग महत्व और पूजन विधि होती है।

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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और श्रद्धालु इस दिन उपवास रखकर भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जो हर महीने दो बार—शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती हैं। इनमें से हर एकादशी का अपना अलग महत्व और पूजन विधि होती है।


इस वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी, जिसे आमलकी एकादशी कहा जाता है, 10 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी विशेष रूप से पूजा की जाती है, क्योंकि यह वृक्ष भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है।


आमलकी एकादशी व्रत में क्या खाएं?

जो भक्त इस व्रत को रखते हैं, वे निम्नलिखित चीजों का सेवन कर सकते हैं:

- दूध और दही

- फल और फलों का रस

- शरबत

- साबुदाना

- बादाम और नारियल

- शकरकंद और आलू

- सेंधा नमक

- राजगिरा का आटा


इस दिन आंवले का सेवन करना और आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है।


आमलकी एकादशी व्रत में क्या न खाएं?

व्रती को इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए। जिन चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए, वे इस प्रकार हैं:

- मांस और मछली

- मदिरा

- प्याज और लहसुन

- अधिक मसाले और तेल युक्त भोजन

- चावल

- साधारण नमक


महत्वपूर्ण नियमों का पालन न करने से व्रत भंग हो सकता है, इसलिए इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।


प्रसाद अर्पित करने का मंत्र:

व्रत के दौरान भगवान विष्णु को प्रसाद अर्पित करते समय निम्नलिखित मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना गया है:


''त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये।

गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर।।''


ऐसा कहा जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अन्न-धन की वृद्धि होती है।


यदि आप आमलकी एकादशी का व्रत रखने जा रहे हैं, तो इन नियमों और विधियों का पालन अवश्य करें ताकि भगवान विष्णु की कृपा सदैव बनी रहे।