विवाह पंचमी व्रत के अनेक चमत्कारी लाभ होते हैं। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे मनाने से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है
विवाह पंचमी हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान राम और देवी सीता के पवित्र विवाह का प्रतीक है, जिसे पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन राम-सीता की पूजा-अर्चना कर भक्त अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
विवाह पंचमी हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व भगवान राम और देवी सीता के पवित्र विवाह का प्रतीक है, जिसे पूरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस दिन राम-सीता की पूजा-अर्चना कर भक्त अपने वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
विवाह पंचमी 2024 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, विवाह पंचमी 2024 की पंचमी तिथि 5 दिसंबर को दोपहर 12:49 बजे शुरू होगी और 6 दिसंबर को दोपहर 12:07 बजे समाप्त होगी। इस दिन शुभ समय के अनुसार, 6 दिसंबर को विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाएगा।
विवाह पंचमी व्रत के लाभ
1. दांपत्य जीवन को सुखी और सौहार्दपूर्ण बनाता है।
2. पति-पत्नी के रिश्ते को और अधिक मजबूत करता है।
3. प्रेम, भक्ति और समर्पण को बढ़ावा देता है।
4. जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाने वाला माना जाता है।
5. परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में सहायक होता है।
विवाह पंचमी का धार्मिक महत्व
विवाह पंचमी भगवान राम और माता सीता के आदर्श प्रेम, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह पर्व वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने और जीवन को सुखमय बनाने के लिए खास माना जाता है। इस दिन राम-सीता की पूजा कर भक्त आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि रामदरबार की श्रद्धा से आराधना करने से जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
रामचरितमानस की प्रेरणादायक चौपाई
1. *हरि अनंत हरि कथा अनंता। कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता॥
रामचंद्र के चरित सुहाए। कलप कोटि लगि जाहिं न गाए॥*
(इस चौपाई में भगवान राम की महिमा और उनकी कथा का अनंत स्वरूप वर्णित है।)
2. *बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥
सठ सुधरहिं सत्संगति पाई। पारस परस कुघात सुहाई॥*
(इस चौपाई में सत्संग और राम कृपा के महत्व को समझाया गया है।)
भक्ति और समर्पण का पर्व
विवाह पंचमी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि राम-सीता के आदर्श विवाह का स्मरण है, जो प्रेम, विश्वास और त्याग का प्रतीक है। इसे पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाकर अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि से भर सकते हैं।
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