जनवरी में प्रदोष व्रत की तिथियां कब हैं,जानें एक ही जगह शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन संध्याकाल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान से प्रदोष व्रत रखता है और पूजा करता है, उसे मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और उसके अटके हुए कार्य पूर्ण होते हैं। साथ ही, कुछ विशेष वस्तुओं का दान करने से जीवन की तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं जनवरी 2025 में आने वाले प्रदोष व्रत की तिथियां और शुभ मुहूर्त।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन संध्याकाल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा का विधान है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति विधि-विधान से प्रदोष व्रत रखता है और पूजा करता है, उसे मनचाहे फल की प्राप्ति होती है और उसके अटके हुए कार्य पूर्ण होते हैं। साथ ही, कुछ विशेष वस्तुओं का दान करने से जीवन की तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं जनवरी 2025 में आने वाले प्रदोष व्रत की तिथियां और शुभ मुहूर्त।
प्रदोष व्रत 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
पौष माह (शनि प्रदोष व्रत)
पंचांग के अनुसार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी को सुबह 08:21 बजे शुरू होकर 12 जनवरी को सुबह 06:33 बजे समाप्त होगी। इस दिन, शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा। पूजा का शुभ समय 11 जनवरी की शाम 05:43 से रात 08:26 तक रहेगा।
माघ माह (सोम प्रदोष व्रत)
पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 26 जनवरी को रात 08:54 बजे शुरू होकर 27 जनवरी को रात 08:34 बजे समाप्त होगी। इस दिन सोम प्रदोष व्रत रखा जाएगा, क्योंकि यह सोमवार को पड़ रहा है। पूजा का शुभ मुहूर्त 27 जनवरी को शाम 05:56 से रात 08:34 तक रहेगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
1. प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
3. पूजा स्थान पर साफ कपड़ा बिछाकर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
4. भगवान शिव को बेलपत्र, फूल, माला आदि अर्पित करें और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
5. देसी घी का दीपक जलाकर शिव चालीसा और आरती का पाठ करें।
6. भगवान शिव से सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करें।
7. सफेद मिठाई, हलवा, दही, भांग, पंचामृत, शहद और दूध का भोग लगाएं।
8. संध्याकाल में भी पूरी श्रद्धा और विधि से पूजा-अर्चना करें।
9. पूजा के बाद अन्न और धन का दान करें।
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