वाराणसी जब भी जाएं तो, इन 5 अनुभवों को जीना न भूलें

5000 साल पहले शिव जी द्वारा स्थापित वरुणा और असी के बीच बसने वाले खूबसूरत शहर को कहते हैं वाराणसी। इसके अन्य नाम बनारस और काशी भी हैं। अगर आप वाराणसी जाने का प्लान बना रहे हैं, तो इन 5 अनुभवों को जीना न भूलें –

varanasi tour

5000 साल पहले शिव जी द्वारा स्थापित वरुणा और असी के बीच बसने वाले खूबसूरत शहर को कहते हैं वाराणसी। इसके अन्य नाम बनारस और काशी भी हैं। अगर आप वाराणसी जाने का प्लान बना रहे हैं, तो इन 5 अनुभवों को जीना न भूलें –

गंगा आरती

वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती दुनिया भर में मशहूर है। देश विदेश से लोग मात्र इस आरती के साक्षात दर्शन करने के लिए आते हैं। यहां आप बोट की एडवांस बुकिंग भी कर सकते हैं जिससे बिना किसी रुकावट के आरती का सुंदर भव्य दर्शन आपको मिलता है। जब एक सुर और ताल में सभी पंडा के हाथ से आरती की लौ आंखों के सामने नृत्य करती हुई झूमती है तो ऐसा अनुभव होता है कि मानो सब व्यर्थ और यही सुंदर सत्य है।

सुबह-ए-बनारस

वाराणसी की सुबह का दीदार एक अद्भुत नजारा होता है। भोर में उठ कर किसी भी घाट पर जा के बैठ जाइए और खुली आंखों से अपने सामने सूर्योदय का नज़ारा देख कर आपकी आत्मा तृप्त हो जायेगी। गंगा नदी, घाट, लेमन–टी और नारंगी से पीला होता हुआ सूर्य ऐसा अनुभव कराता है मानो आजतक सूर्य का कभी इतना सुंदर रूप देखा ही न हो।

काशी विश्वनाथ मंदिर

यह मंदिर शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी है। इसकी मान्यता इतनी अधिक है कि शिव को मानने वाले अपने जीवनकाल में एक बार निश्चित यहां दर्शन करने आते हैं। हाल ही में मोदी सरकार ने इसका भव्य रूप से जीर्णोद्धार किया है जिसके बाद इस मंदिर की महिमा देखते ही बनती है। जब भी वाराणसी जाएं तो काशी विश्वनाथ के दर्शन और मंदिर परिसर की भव्यता का अनुभव अवश्य करें नहीं तो आपका वाराणसी आगमन अधूरा है।

लोकल मार्केट और खान पान

वाराणसी की लोकल मार्केट में सबसे अजीज चीज़ है बनारसी साड़ी! रेशम और जरी के धागों से बनी सिल्क की बनारसी साड़ियां किसी भी महिला के साड़ी कलेक्शन की पहली पसंद होती है। इसके बाद बारी आती है यहां के खान पान की। कचौड़ी सब्जी जलेबी यहां की हर गली में आपको बनते हुए दिख जाएगी। यहां की लस्सी और चाट गोलगप्पे का स्वाद कहीं और नहीं मिलता। काशी चाट भंडार, दीना चाट भंडार, पहलवान लस्सी और बनारसी पान यहां के मुख्य आकर्षण हैं। यहां की लोकल मार्केट में भक्ति की एक महक है जिसका अनुभव करके आप आने वाले कुछ दिनों के लिए रिचार्ज हो जाते हैं।

सारनाथ

भगवान बुद्ध ने बोध गया में ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला उपदेश यहीं दिया था। बौद्ध धर्म के अनुयायी यहां अक्सर आते हैं। यहां मंदिर, संग्रहालय और स्तूप भी मौजूद हैं। भारत का राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ भी यहीं पाया जाता है। सारनाथ दर्शन से आपको आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।