महाराष्ट्र राजनीति: शिंदे को मिली सहमति! कैबिनेट विस्तार पर बनी सहमति, मंत्रिमंडल गठन का फार्मूला तय
महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार को लेकर महायुति में चल रही खींचतान अब खत्म होती नजर आ रही है। राज्य सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख तय हो चुकी है। शिंदे गुट, जो कुछ अहम मंत्रालयों को लेकर अड़ा हुआ था, उसे अब मना लिया गया है। खबर है कि नागपुर में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में 32 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
- कैसा होगा मंत्रिमंडल का फॉर्मूला?
महाराष्ट्र में कैबिनेट विस्तार को लेकर महायुति में चल रही खींचतान अब खत्म होती नजर आ रही है। राज्य सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख तय हो चुकी है। शिंदे गुट, जो कुछ अहम मंत्रालयों को लेकर अड़ा हुआ था, उसे अब मना लिया गया है। खबर है कि नागपुर में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में 32 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
15 दिसंबर को होगा कैबिनेट विस्तार
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार का कैबिनेट विस्तार 15 दिसंबर को होगा। नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण नागपुर में आयोजित किया जाएगा। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, इस बार 30 से 32 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है।
शीतकालीन सत्र से पहले होगा विस्तार
16 दिसंबर से नागपुर में राज्य विधानमंडल का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है, जो एक सप्ताह तक चलेगा। कैबिनेट विस्तार को इस सत्र से ठीक पहले पूरा कर लिया जाएगा।
कैबिनेट गठन के लिए हुई बैठकों का दौर
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कैबिनेट गठन को अंतिम रूप देने के लिए शुक्रवार को उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार से अलग-अलग मुलाकात की। अजित पवार के दक्षिण मुंबई स्थित देवगिरी बंगले पर हुई बैठक में एनसीपी के नेताओं के साथ गहन चर्चा हुई। माना जा रहा है कि इस दौरान मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप दिया गया।
कैसा होगा मंत्रिमंडल का फॉर्मूला?
सूत्रों के अनुसार, मंत्रिमंडल में भाजपा को 20-21 मंत्री पद मिल सकते हैं, शिवसेना को 11-12 और एनसीपी को 9-10 मंत्री पद दिए जा सकते हैं।
महायुति की चुनावी जीत
20 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों में महायुति ने कुल 288 सीटों में से 230 सीटों पर जीत हासिल की। भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57, और एनसीपी ने 41 सीटों पर विजय प्राप्त की।
सरकार गठन में उतार-चढ़ाव
सरकार गठन के दौरान कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिले। पहले शिंदे मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार नहीं थे और संगठन पर ध्यान केंद्रित करना चाहते थे। हालांकि, बाद में उन्हें उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करने के लिए मना लिया गया। शिवसेना ने बार-बार शिंदे को उनके कद के अनुसार गृह मंत्रालय देने की मांग की, लेकिन भाजपा शुरू में इसके लिए सहमत नहीं हुई।
अब महायुति में सहमति बनने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में स्थिरता आने की उम्मीद जताई जा रही है।
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