स्वास्तिक बनाने से सभी मांगलिक कार्य सिद्ध होते हैं, यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक तथा पौराणिक विश्वास है
सनातन धर्म में स्वास्तिक का प्रतीक बहुत महत्वपूर्ण है और इसे शुभ और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। इस चिन्ह को किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले बनाने की परंपरा बहुत प्राचीन है। स्वास्तिक को धर्मिक दृष्टि से माता लक्ष्मी के साथ तुलना भी की जाती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ता है।
सनातन धर्म में स्वास्तिक का प्रतीक बहुत महत्वपूर्ण है और इसे शुभ और कल्याण का प्रतीक माना जाता है। इस चिन्ह को किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले बनाने की परंपरा बहुत प्राचीन है। स्वास्तिक को धर्मिक दृष्टि से माता लक्ष्मी के साथ तुलना भी की जाती है, जिससे इसका महत्व और भी बढ़ता है।
सनातन धर्म में स्वास्तिक का निर्माण शुभ कार्यों से पहले होता है, और इसका महत्व इस बात को दर्शाता है कि इसके बिना किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत नहीं की जाती। इसके निर्माण से ग्रह दोष और वास्तु दोष भी दूर होते हैं, और घर में पॉजिटिव ऊर्जा बनी रहती है।
स्वास्तिक का रंग शास्त्रों में लाल माना जाता है और इसे लाल कुमकुम, रोली, या लाल चंदन से बनाना चाहिए। बाजार से बने स्वास्तिक को नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि उन्हें सही तरीके से बनाया नहीं जाता है।
स्वास्तिक से जुड़े उपायों में, इशान कोण में सूखी हल्दी से स्वास्तिक बनाना एक उपाय है जो व्यापार में लाभ के लिए किया जा सकता है। इस उपाय को 7 दिनों तक लगातार करने से कारोबार में सुधार हो सकता है और व्यापार में लाभ हो सकता है।
स्वास्तिक का धार्मिक महत्व को समझने के लिए, इसे सही तरीके से बनाना और उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है।
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