इस अद्भुत मुहूर्त में मां कूष्मांडा की पूजा और साधना करने से आपकी झोली खुशियों से भर जाएगी

चैत्र नवरात्र के चौथे दिन, मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त तीन बजकर चार मिनट से शुरू होकर अगले दिन एक बजकर ग्यारह मिनट पर समाप्त होगा। उसके बाद, पंचमी तिथि आरंभ होगी। मां कूष्मांडा की पूजा और साधना का समय दोपहर एक बजकर ग्यारह मिनट तक रहेगा।

chaitra navratri

चैत्र नवरात्र के चौथे दिन, मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त तीन बजकर चार मिनट से शुरू होकर अगले दिन एक बजकर ग्यारह मिनट पर समाप्त होगा। उसके बाद, पंचमी तिथि आरंभ होगी। मां कूष्मांडा की पूजा और साधना का समय दोपहर एक बजकर ग्यारह मिनट तक रहेगा।


इस शुभ मुहूर्त में, मंगलकारी सौभाग्य योग और भद्रावास योग भी होंगे। सौभाग्य योग का समय रात के दो बजकर तेरह मिनट तक रहेगा, और भद्रावास योग का समय दोपहर एक बजकर ग्यारह मिनट तक होगा। इस समय में मां कूष्मांडा की पूजा-उपासना से साधक को मनोवांछित फल प्राप्त होता है।


सूर्योदय का समय पाँच बजकर उन्नीस मिनट पर है और सूर्यास्त का समय छः बजकर पच्चास मिनट पर है। चन्द्रोदय सुबह आठ बजकर उन्नीस मिनट पर है और चंद्रास्त रात्रि को ग्यारह बजकर होगा।


ब्रह्म मुहूर्त का समय चार बजकर उनतालीस मिनट से पाँच बजकर चौदह मिनट तक है, विजय मुहूर्त दोपहर दो बजकर तीन मिनट से तीन बजकर इक्कीस मिनट तक है, गोधूलि मुहूर्त शाम के छः बजकर चौबीस मिनट से सात बजकर सात मिनट तक है, और निशिता मुहूर्त रात के ग्यारह बजकर पचास मिनट से बारह बजकर चौबीस मिनट तक है।


अशुभ समय में, राहु काल का समय सुबह के दस बजकर छब्बीस मिनट से दो बजकर बारह मिनट तक है, और गुलिक काल का समय सुबह के सात बजकर चौतीस मिनट से नौ बजकर दस मिनट तक है। दिशा शूल का समय पश्चिम के समय है।