जानिए ,हनुमान जी ने कैसे धारण किया पंचमुखी अवतार

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के श्रद्धालु हनुमान जी को 'संकटमोचन' के नाम से जाना जाता है। इसका मान्यता है कि बजरंगबली की पूजा से प्रभु अपने भक्तों पर सदैव कृपा बनाए रखते हैं और उन्हें जीवन के संकटों से मुक्ति प्रदान करते हैं। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने का महत्व अत्यंत है। पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा मंदिरों में देखी जाती है, जिनमें प्रभु के पांच रूप वानर, गरुड़, वराह, अश्व, और नृसिंह का प्रतिनिधित्व होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी ने पंचमुखी रूप क्यों धारण किया था? इसकी कथा के बारे में विस्तार से जानिए।

lord hanuman

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के श्रद्धालु हनुमान जी को 'संकटमोचन' के नाम से जाना जाता है। इसका मान्यता है कि बजरंगबली की पूजा से प्रभु अपने भक्तों पर सदैव कृपा बनाए रखते हैं और उन्हें जीवन के संकटों से मुक्ति प्रदान करते हैं। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने का महत्व अत्यंत है। पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा मंदिरों में देखी जाती है, जिनमें प्रभु के पांच रूप वानर, गरुड़, वराह, अश्व, और नृसिंह का प्रतिनिधित्व होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी ने पंचमुखी रूप क्यों धारण किया था? इसकी कथा के बारे में विस्तार से जानिए।


कथा के अनुसार, युद्ध के समय रावण ने अहसास किया कि वह भगवान राम को हर नहीं पा सकेगा। इसलिए उसने अपने भाई अहिरावण की सहायता मांगी। अहिरावण मां भवानी के भक्त थे और उन्होंने तंत्र विद्या का ज्ञान हासिल किया था। उन्होंने मायावी शक्तियों की सहायता से भगवान राम की सेना को नींद में डाल दिया। इस बीच राम और लक्ष्मण का अपहरण हो गया और उन्हें पाताल लोक ले गया। यह सभी विकट स्थिति को जानकर विभीषण ने हनुमान को बताया और कहा कि वह पाताल लोक में जाकर राम और लक्ष्मण को छुड़ा सकते हैं।


पाताल लोक में अहिरावण ने पांच दिशाओं में पांच दीपक जलाए थे, जिन्हें एक साथ बुझाने पर ही अहिरावण का वध हो सकता था। हनुमान ने इस संदेश को समझते हुए पंचमुखी रूप धारण किया और पांच दिशाओं में से हर एक को एक साथ देखने के बाद पंचमुखी हनुमान ने दीपकों को बुझा दिया, जिससे अहिरावण का वध हो गया और राम और लक्ष्मण को छुड़ाया गया।