किस दिन मनायी जाएगी होली भाई दूज? यहाँ जाने त्यौहार की सही तिथि और इसका शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार भाई और बहन के रिश्ते को दर्शाता और मजबूत करता है। इस बार होली भाई दूज की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ लोग होली भाई डोज 26 मार्च की बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग होली भाई दूज 27 मार्च को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि होली भाई दूज किस तारीख को मनाई जाएगी।

holi bhai dooj

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह त्योहार भाई और बहन के रिश्ते को दर्शाता और मजबूत करता है। इस बार होली भाई दूज की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं। कुछ लोग होली भाई डोज 26 मार्च की बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग होली भाई दूज 27 मार्च को मनाने की बात कह रहे हैं। आइए इस लेख में हम आपको हिंदू पंचांग के अनुसार बताएंगे कि होली भाई दूज किस तारीख को मनाई जाएगी।

इस दिन मनाये होली भाई दूज

होली के बाद होली भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि का प्रारंभ 26 मार्च 2024 को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट से होगा और इसका समापन 27 मार्च 2024 को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर होगा। ऐसे में होली भाई दूज का त्योहार 27 मार्च 2024 को मनाया जाएगा।

होली भाई दूज का शुभ मुहूर्त

पहला मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 54 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक रहेगा दूसरा मुहूर्त- दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 04 मिनट तक

क्यों मनाया जाता हैं होली भाई दूज

धर्म ग्रंथों के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान यम अपनी बहन यमुना से मिलने के लिए गए थे। उनके घर पहुंचने पर बहन ने यम का भव्य स्वागत किया था और उनको तिलक लगाया। साथ ही उनको मिठाई खिलाई। इससे यम बहन से प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान दिया कि जो भाई चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को अपनी बहन से तिलक करवाएगा। उसकी दीर्घ आयु होगी और समृद्धि का आशीर्वाद का प्राप्त होगा।

तिलक के समय मंत्र जाप करें

केशवानन्न्त गोविन्द बाराह पुरुषोत्तम।

पुण्यं यशस्यमायुष्यं तिलकं मे प्रसीदतु।।

कान्ति लक्ष्मीं धृतिं सौख्यं सौभाग्यमतुलं बलम्।

ददातु चन्दनं नित्यं सततं धारयाम्यहम्।।