मंगल पांडेय ने पहली स्वाधीनता संग्राम की चिंगारी जलाई थी और 29 साल की उम्र में ही अंग्रेजी सरकार की नींव हिला दी थी

भारत को गुलामी से आजादी दिलाने के लिए हमारे देश के कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता मिली। मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने 1857 में सैनिक विद्रोह (Sepoy Mutiny) की शुरुआत करके भारत में स्वतंत्रता का पहला बिगुल बजाया।

mangal pandey

भारत को गुलामी से आजादी दिलाने के लिए हमारे देश के कई वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्रता मिली। मंगल पांडेय (Mangal Pandey) ने 1857 में सैनिक विद्रोह (Sepoy Mutiny) की शुरुआत करके भारत में स्वतंत्रता का पहला बिगुल बजाया।

इस विद्रोह के बाद पूरे देश में स्वतंत्रता के लिए लोगों में आक्रोश फैल गया और भारत का स्वतंत्रता संग्राम आरंभ हुआ। इस विद्रोह के बाद ही स्वतंत्रता की लड़ाई ने गति पकड़ी और देशभर के कोने-कोने से कई वीर और वीरांगनाएं इस संग्राम में शामिल होने आगे आए। 19 जुलाई 1827 को जन्मे मंगल पांडेय का जीवन भले ही छोटा रहा हो, लेकिन उनकी कीर्ति इतनी बड़ी है कि आज भी उन्हें श्रद्धा और आदर के साथ याद किया जाता है।

कौन थे मंगल पांडेय?

मंगल पांडेय का जन्म 19 जुलाई 1827 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में हुआ था। उनके माता का नाम अभयरानी पांडेय और पिता का नाम दिवाकर पांडेय था। ब्राह्मण परिवार में जन्मे मंगल पांडेय का चयन 22 साल की उम्र में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में हो गया। वे बंगाल नेटिव इंफेंट्री की 34वीं बटालियन में शामिल हुए और अपनी ही बटालियन के खिलाफ विद्रोह कर दिया, जिसके कारण उन्हें फांसी दे दी गई।

1857 का विद्रोह क्यों हुआ?

1857 के विद्रोह का मुख्य कारण एंफील्ड पी-53 राइफल का उपयोग था। इस राइफल में गोली भरने के लिए कारतूस को दांत से खोलना पड़ता था। उस समय यह अफवाह फैली थी कि इन कारतूसों के कवर में सुअर और गाय के मांस का प्रयोग होता है, जो लोगों के धर्म के खिलाफ था। मंगल पांडेय ने इस बात का विरोध किया और इसे स्वतंत्रता की चिंगारी भड़काने का अवसर समझा। उन्होंने अपने साथियों को विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया और 29 मार्च 1857 को अपने सीनियर सार्जेंट मेजर पर गोली चला दी।

इसके बाद मंगल पांडेय को गिरफ्तार कर लिया गया और 8 अप्रैल 1857 को बराकपुर में फांसी दे दी गई। इस घटना के बाद देश के कई हिस्सों में सैन्य विद्रोह शुरू हो गया और स्वतंत्रता संग्राम ने तेजी पकड़ ली। 29 साल की उम्र में शहीद हुए मंगल पांडेय ने स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी, जिसके परिणामस्वरूप भारत को अंग्रेजों से आजादी मिली।