सुप्रीम कोर्ट ने दिया केंद्र सरकार को नोटिस, चाइल्ड केयर रूम की मांग को लेकर दायर की गई थी याचिका

सार्वजनिक स्थानों पर माताओं द्वारा अपने शिशुओं को फीडिंग कराने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र को नोटिस जारी किया है। फीडिंग और चाइल्ड कैअर रूम और किसी भी अन्य सुविधाओं के निर्माण की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा गया है। गुरुवार को न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन मातृ स्पर्श द्वारा दायर याचिका पर यह नोटिस जारी किया है।

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सार्वजनिक स्थानों पर माताओं द्वारा अपने शिशुओं को फीडिंग कराने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र को नोटिस जारी किया है। फीडिंग और चाइल्ड कैअर रूम और किसी भी अन्य सुविधाओं के निर्माण की मांग करने वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा गया है। गुरुवार को न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन मातृ स्पर्श द्वारा दायर याचिका पर यह नोटिस जारी किया है।

मौलिक अधिकार का हो रहा उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि निजता और गरिमा के साथ बच्चे की देखभाल करना हर एक महिला का मौलिक अधिकार है जिसका हर बार उल्लंघन किया जा रहा है क्योंकि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं और बच्चों के लिए फीडिंग रूम और चाइल्ड केयर रूम जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी है।

सार्वजनिक स्थानों पर बने फीडिंग रूम

याचिकाकर्ता मातृ स्पर्श, अव्यान फाउंडेशन एक एनजीओ है जो सार्वजनिक स्थानों पर फीडिंग रूम, चाइल्ड केयर रूम और क्रेच स्थापित करने की दिशा में काम कर रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नेहा रस्तोगी, अनिमेष रस्तोगी और अभिमन्यु श्रेष्ठ ने फीडिंग रूम बनाने की पैरवी करते हुए कहा कि आज के जीवन में यह एक महत्वपूर्ण चीज है, जिसपर जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए।

उचित पोषण प्राप्त करने का सबका अधिकार

याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि चूंकि बच्चे को नर्सिंग के माध्यम से उचित पोषण प्राप्त करने का अधिकार है, इसलिए यह एक मां का अधिकार है कि वह अपनी गरिमा और गोपनीयता को बनाते हुए बच्चे को फीड कराए।

महिलाओं को गरिमा के साथ जीने का हक

याचिकाकर्ता ने कहा कि सभी सार्वजनिक स्थानों पर फीडिंग रूम और चाइल्ड केयर रूम आज के परिदृश्य में बहुत महत्वपूर्ण हैं जब महिलाएं रोजगार के लिए इतनी बड़ी संख्या में बाहर निकल रही हैं। अधिवक्ता ने कहा कि यह सब अब बुनियादी सुविधाएं हैं और यह इसलिए भी जरूरी है ताकि महिलाएं गरिमा के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकें।