इस नवरात्रि दुर्गा माँ की आरती करते समय रखें इन 5 बातों का खास ध्यान
नौ दिन के शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत 26 सितंबर से हो चुकी है. नवरात्रि का पावन पर्व मां दुर्गा की पूजा के लिए खास होता है. भक्त इस दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. हर दिन अलग-अलग देवी की पूजा होती है. कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा के बाद आरती जरूर करनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती है. स्कंद पुराण के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा विधि भी ठीक से नहीं जानता, लेकिन यदि आरती कर लेता है तो देवी-देवता उसकी पूजा स्वीकार कर लेते हैं. आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आरती में किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए.
- नवरात्रि का पावन पर्व मां दुर्गा की पूजा के लिए खास होता है.
नौ दिन के शारदीय नवरात्रि पर्व की शुरुआत 26 सितंबर से हो चुकी है. नवरात्रि का पावन पर्व मां दुर्गा की पूजा के लिए खास होता है. भक्त इस दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. हर दिन अलग-अलग देवी की पूजा होती है. कहा जाता है कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा के बाद आरती जरूर करनी चाहिए, क्योंकि इसके बिना पूजा संपूर्ण नहीं मानी जाती है. स्कंद पुराण के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति मंत्र नहीं जानता, पूजा विधि भी ठीक से नहीं जानता, लेकिन यदि आरती कर लेता है तो देवी-देवता उसकी पूजा स्वीकार कर लेते हैं. आइए जानते हैं कि नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की आरती में किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए.
मां दुर्गा की आरती कैसे करें
-आरती में रुई की बाती का खास महत्व है. ऐसे में सबसे पहले विषम संख्या (जैसे-3, 5 या 7) में रुई की बातियों के दीपक में रखकर जलाएं.
-किसी थाली या प्लेट में दीपक रखें. इसके साथ उसमें फूल और कपूर भी रखें. घर में एक बाती बनाकर भी आरती की जा सकती है. पूजा पंडालों में 5 बत्तियों की आरती की जाती है.
मां दुर्गा की आरती शंख, घंटा और ताली बजाते हुए करें.
-आरती की थाली मां दुर्गा के सामने ऊपर से नीचे गोलाकार घुमाएं. यानी आरती की थाल को घड़ी की सूई की दिशा में घुमाना चाहिए. इस क्रम में अगर ओम् की आकृति बनाते हैं तो और भी अच्छा हैं.
-आरती संपन्न हो जाने के बाद ज्योति के ऊपर दोनों हथेलियों को कुछ क्षण रखकर अपने माथे, कान आंख और मुंख पर रखें.
-आरती की थाली में दीपक के अलावा कपूर, पुष्प, धूप-अगरबत्ती, अक्षत (बिना टूटे हुए चावल) इत्यादि अवश्य रखना चाहिए. मान्यता है कि इन चीजों के साथ मां दुर्गा की आरती करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है.
आरती के बाद जरूर बोलें यह मंत्र
कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि
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