जानिए,माता का स्थान देवताओं के समान है, जैसा कि वेदों में वर्णन है
माँ को हिन्दू धर्म में भगवान से कम नहीं माना गया है। हर साल मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे मादर्स डे कहा जाता है। इस दिन को खास बनाने के लिए लोग अपनी माँ को तोहफे देते हैं। भारतीय संस्कृति में हर दिन मां की सेवा का महत्व है।
माँ को हिन्दू धर्म में भगवान से कम नहीं माना गया है। हर साल मई के दूसरे रविवार को मातृ दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसे मादर्स डे कहा जाता है। इस दिन को खास बनाने के लिए लोग अपनी माँ को तोहफे देते हैं। भारतीय संस्कृति में हर दिन मां की सेवा का महत्व है।
माता पिता को भगवान का ही दर्जा है, जैसा कि इस श्लोक से पता चलता है, "मातृदेवो भव। पितृदेवो भव।" इसमें माता को पहले स्थान पर रखा गया है।
वाल्मीकि रामायण में भी माता की महिमा का वर्णन है, "जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी।"
तीनों सबसे उत्तम शिक्षकों के बारे में बताते हुए कहा गया है कि मां का स्थान सबसे ऊपर है।
एक और श्लोक कहता है, "नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गतिः। नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया।।" इससे माता का महत्व समझा जाता है।
महाभारत में भी मां की महिमा का उल्लेख है, जैसे कि धर्मराज युधिष्ठर के जवाब में, "भूमि से भारी कौन है?" के सवाल पर, "माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं।"
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