
क्या रोजाना एक कटोरी दही खाने से कोलन कैंसर का खतरा कम होता है,जानिए सच
कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिससे आजकल कई लोग प्रभावित हो रहे हैं। दुनियाभर में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और भारत में भी यह एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। कैंसर कई प्रकार का होता है, जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इन्हीं में से एक है कोलन कैंसर, जिसे बॉवेल कैंसर भी कहा जाता है। हाल के समय में यह समस्या युवाओं में अधिक देखने को मिल रही है, जिसका मुख्य कारण गलत खान-पान, फाइबर की कमी, मोटापा और निष्क्रिय जीवनशैली है।

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जिससे आजकल कई लोग प्रभावित हो रहे हैं। दुनियाभर में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और भारत में भी यह एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। कैंसर कई प्रकार का होता है, जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इन्हीं में से एक है कोलन कैंसर, जिसे बॉवेल कैंसर भी कहा जाता है। हाल के समय में यह समस्या युवाओं में अधिक देखने को मिल रही है, जिसका मुख्य कारण गलत खान-पान, फाइबर की कमी, मोटापा और निष्क्रिय जीवनशैली है।
हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं, जो कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकते हैं। इन्हीं में से एक है दही। दही आंतों की सेहत को बेहतर बनाने में सहायक होता है और नियमित रूप से इसका सेवन करने से कोलन कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
कैसे दही कोलन कैंसर से बचाव में मददगार है?
1. आंतों की सेहत सुधारता है:
दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स, जिसे गुड बैक्टीरिया भी कहते हैं, आंतों में बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखते हैं। इससे आंतों में सूजन कम होती है, जो कैंसर का मुख्य कारण हो सकती है।
2. पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है:
दही खाने से पाचन बेहतर होता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। बेहतर पाचन तंत्र शरीर से टॉक्सिन्स को जल्दी बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे कैंसर सेल्स बनने की संभावना कम हो जाती है।
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है:
दही में मौजूद विटामिन डी, कैल्शियम और प्रोबायोटिक्स शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं। इससे शरीर कोलन कैंसर जैसी बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो जाता है।
4. कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकता है:
दही में भरपूर कैल्शियम होता है, जो आंतों की अंदरूनी परत की रक्षा करता है और कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोकने में मदद करता है।
कोलन कैंसर के लक्षण
- मल में खून आना
- वजन में अचानक कमी
- थकान और कमजोरी
- पेट में दर्द, ऐंठन या सूजन
- एनीमिया और त्वचा का पीला होना
- पेशाब के रंग में बदलाव
- सांस लेने में तकलीफ
- बार-बार पेशाब आना या पेशाब में खून आना
अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। साथ ही, दही जैसे हेल्दी फूड्स को अपनी डाइट में शामिल कर कोलन कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है।
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