जब आपको महसूस हो ऐसी कुछ चीज़ें तो समझ लेना चाहिए की दोस्ती में दूरी बनाने का आ गया समय, जानिए क्या हैं ऐसे इंडिकेशन

 फ्रेंडशिप एक ऐसा रिश्ता होता है जिसकी हर एक को हर उम्र में जरूरत होती है। जो चीज़ें हम अपने भाई-बहनों, मम्मी-पापा से शेयर नहीं कर पाते, वो सारे राज दोस्तों से ही तो शेयर करते हैं। जिंदगी में एक दोस्त होना भी बहुत बड़ा सपोर्ट होता है। चार दोस्त हो और किसी काम के नहीं, तो इससे बेहतर न होना ही है। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, आस पड़ोस में रहने वाला कोई भी व्यक्ति आपका दोस्त बन सकता है अगर उसके विचार आपसे मिलते-जुलते हुए हों तो, लेकिन कई बार फोन और फेसबुक लिस्ट में कुछ ऐसे दोस्त भी होते हैं, जिनसे आपको कभी किसी तरह का सपोर्ट फील नहीं होता, उनसे बात करने में आफत आती है और तो और उनके साथ रहने पर आपको स्ट्रेस होने लगता है, तो ऐसे लोगों से जितना जल्द दूरी बना लें उतना अच्छा है। आज हम यहां टॉक्सिक फ्रेंडशिप के लक्षणों के बारे में जानेंगे।

distance friendship

 फ्रेंडशिप एक ऐसा रिश्ता होता है जिसकी हर एक को हर उम्र में जरूरत होती है। जो चीज़ें हम अपने भाई-बहनों, मम्मी-पापा से शेयर नहीं कर पाते, वो सारे राज दोस्तों से ही तो शेयर करते हैं। जिंदगी में एक दोस्त होना भी बहुत बड़ा सपोर्ट होता है। चार दोस्त हो और किसी काम के नहीं, तो इससे बेहतर न होना ही है। स्कूल, कॉलेज, ऑफिस, आस पड़ोस में रहने वाला कोई भी व्यक्ति आपका दोस्त बन सकता है अगर उसके विचार आपसे मिलते-जुलते हुए हों तो, लेकिन कई बार फोन और फेसबुक लिस्ट में कुछ ऐसे दोस्त भी होते हैं, जिनसे आपको कभी किसी तरह का सपोर्ट फील नहीं होता, उनसे बात करने में आफत आती है और तो और उनके साथ रहने पर आपको स्ट्रेस होने लगता है, तो ऐसे लोगों से जितना जल्द दूरी बना लें उतना अच्छा है। आज हम यहां टॉक्सिक फ्रेंडशिप के लक्षणों के बारे में जानेंगे।

साथ में समय बिताना नहीं लगता अच्छा

फ्रेंडशिप में ऐसा मोड आ गया है जब आपको एक-दूसरे का साथ भी अच्छा नहीं लग रहा, तो ये इशारा है दोस्ती में दूरी बना लेना ही सही है। दोस्त से मिलने, बात करने या साथ रहने पर गुस्सा आए, एंग्जाइटी फील हो, तो क्या ही फायदा। इससे बेहतर है ऐसे लोगों से कट लेना।

भरोसा न कर पाना

भरोसा पर हर एक रिश्ता टिका हुआ है। मजाक-मस्ती वाली दोस्ती में भी इसकी दरकरार होती है, लेकिन अगर आप अपने दोस्त पर भरोसा नहीं करते या पहले था अब किसी वजह से टूट गया, तो ऐसी दोस्ती का भी कोई फायदा नहीं। इसकी शुरुआत छोटी-छोटी चीज़ों से ही होती है। हर बार कोई नया बहाना बनाना, बातों को घुमा-फिरा कर कहना...ये सारी चीज़ें दोस्ती में सही नहीं होती। इससे आप दोस्त के सामने बिंदास होकर नहीं रह सकते।

कहना कुछ करना कुछ

कुछ फ्रेंड्स ऐसी एक्सपेक्टेशन्स रखते हैं कि आप उन्हें हर एक चीज़ बताकर करें, उनकी अनकही बातों को भी समझ जाएं। इसके पीछे उनका लॉजिक होता है कि अगर दोस्ती पक्की है, तो कई सारी चीज़ें बिना बताए ही समझी जा सकती हैं, लेकिन जब उनके ऊपर ऐसी सिचुएशन आती है, तो ये लॉजिक फेल हो जाता है।

पॉजेसिव होना

अगर आपका कोई फ्रेंड ऐसा है जिसे आपका दूसरों से बातचीत करना, साथ घूमना-फिरना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता। इसे लेकर वो आपसे लड़ने लगता है, कुछ करने की धमकी देता है, तो इनसे भी जितना जल्द हो सके दोस्ती तोड़ लें, क्योंकि ऐसे लोग सिर्फ स्ट्रेस देते हैं। साथ ही इनके साथ रहना डर के साये में जीना जैसा होता है।

दोस्ती को हल्के में लेना

कई सारे रिलेशनशिप को निभाने के लिए बहुत ज्यादा उम्मीद रखना सही नहीं माना जाता और दोस्ती का रिश्ता भी कुछ ऐसा ही होता है, लेकिन बहुत लंबे समय तक इस एटीट्यूड को अपनाने से एक समय बाद उलझन होने लगती है। मतलब अगर आप अपने दोस्त की हर जरूरत में मदद कर रहे है, उसके लिए हमेशा खड़े रहते हैं, लेकिन दोस्त की तरफ से ये चीज़ मिसिंग हैं, तो कोई फायदा नहीं ऐसी दोस्ती को निभाने का।