आमला एकादशी के शुभ दिन पर करें ये कार्य, बरसेगी भगवान विष्णु की असीम कृपा

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के साथ सोमवार का दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की एकादशी का काफी अधिक महत्व है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी 14 मार्च को पड़ रही हैं। एकादशी तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी।

amalaki ekadashi
स्टोरी हाइलाइट्स
  • फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के साथ सोमवार का दिन है
  • एकादशी 14 मार्च को पड़ रही हैं

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के साथ सोमवार का दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की एकादशी का काफी अधिक महत्व है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी, रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी 14 मार्च को पड़ रही हैं। एकादशी तिथि 13 मार्च सुबह 10 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी।

आमला (आमलकी) एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि इस दिन कुछ खास उपाय किए जाए तो व्यक्ति हर तरह की परेशानियों से छुटकारा पाने के साथ-साथ सुख-समृद्धि पा सकता है। जानिए आमलकी एकादशी के दिन कौन से उपाय करना होगा शुभ।

1.   भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल अति प्रिय है। इसलिए आमलकी एकादशी के मौके पर 21 फूल चढ़ाएं या आप चाहे तो इन फूलों से माला भी बना सकते हैं। इससे आपके ऊपर हमेशा श्री हरि की कृपा बनी रहेगी।

2.   एकादशी के दिन पूजा के समय पीले रंग के कपड़े में एकाक्षी नारियल लपेटकर रख दें। पूजा करने के बाद इस नारियल को साफ जगह में संभालकर रख दें। इससे आपको लक्ष्मी माता की कृपा बनी रहेगी।

3.   नौकरी या बिजनेस में किसी तरह की परेशानी आ रही है तो आमलकी एकादशी के दिन एक लोटा जल आंवले के पेड़ में चढ़ाएं। इससे आपको लाभ मिलेगा।

4.   आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ की 7 बार परिक्रमा करते हुए सूत का धागा लपेट दें। इससे आपके जीवनसाथी की हर इच्छा पूर्ण होगी।

5.   सुख-समृद्धि के लिए भगवान विष्णु को चंदन का तिलक लगाएं। इसके साथ ही उनका ध्यान करें।

6.   हर मनोकामना पूर्ण करने और श्री हरि की कृपा पाने के साथ साफ पीले रंग के कपड़े रूमाल के बराबर काट लें। इसके बाद इसके चारों और गोटा आदि लगा दें और एकादशी के दिन श्री विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें।