दुनिया भर में कई जगहों पर Whooping Cough ने भयंकर प्रभाव डाला है। इस जानलेवा बीमारी के बारे में जानें

काली खांसी, जिसे पर्टुसिस या वूपिंग कफ भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में सामान्य सर्दी जैसे बुखार, नाक बंद होना और हल्की खांसी शामिल हैं, जो आमतौर पर बच्चों और बड़ों दोनों में दिखाई देते हैं। लेकिन इसकी खासियत यह है कि खांसी के दौरे बहुत ही तेज और अनियंत्रित होते हैं, जो सांस लेने को भी मुश्किल बना सकते हैं। यह बीमारी खासकर बच्चों को प्रभावित करती है, जिन्हें इसके गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इसलिए, इसे तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना और उचित उपचार कराना बेहद महत्वपूर्ण है।

whooping cough

काली खांसी, जिसे पर्टुसिस या वूपिंग कफ भी कहा जाता है, एक संक्रामक बीमारी है जो हमारे श्वसन तंत्र को प्रभावित करती है। इसके लक्षणों में सामान्य सर्दी जैसे बुखार, नाक बंद होना और हल्की खांसी शामिल हैं, जो आमतौर पर बच्चों और बड़ों दोनों में दिखाई देते हैं। लेकिन इसकी खासियत यह है कि खांसी के दौरे बहुत ही तेज और अनियंत्रित होते हैं, जो सांस लेने को भी मुश्किल बना सकते हैं। यह बीमारी खासकर बच्चों को प्रभावित करती है, जिन्हें इसके गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इसलिए, इसे तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना और उचित उपचार कराना बेहद महत्वपूर्ण है।

किसे ज्यादा खतरा है?

बच्चों में काली खांसी के सबसे गंभीर लक्षण होते हैं। यह बीमारी आमतौर पर बच्चों को प्रभावित करती है, जिन्हें खांसी के दौरान सांस लेने में मुश्किल हो सकती है। जबकि किशोरों और वयस्कों में लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन यह बीमारी उन्हें भी परेशान कर सकती है, जिन्हें रात में खांसी के दौरान जगाए रख सकते हैं।

काली खांसी का इलाज क्या है?

इस बीमारी का इलाज अधिकांश मामलों में एंटीबायोटिक्स के साथ होता है। इन दवाओं का उपयोग संक्रमण को रोकने और इसके लक्षणों को कम करने में मदद करता है। अगर किसी को तीन सप्ताह से ज्यादा समय तक खांसी होती है, तो एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि बैक्टीरिया शायद ही शरीर में हों।

यह कैसे फैलता है?

काली खांसी का बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने के कारण फैलता है। यह बैक्टीरिया गले में चिपक जाता है और सिलिया को नुकसान पहुंचाता है, जिससे खांसी और सांस लेने में मुश्किल होती है।

कैसे करें अपना बचाव?

इससे बचाव के लिए सबसे अच्छा तरीका वैक्सीनेशन है। डीटीएपी वैक्सीन छोटे बच्चों को सुरक्षित रखने में मदद करता है। साथ ही, हाथ धोना, व्यक्तिगत सामग्री को साझा न करना, और खांसी या छींकने के दौरान मुंह और नाक को ढ़कना भी बचाव के लिए महत्वपूर्ण है।